छत्तीसगढ़

हर छत्तीसगढ़िया पर 6363 का कर्ज-कांग्रेस

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जनता को कर्जे से लाद दिया है. आम जनता परेशान है और रमन सिंह झूठे आंकड़े पेश कर जनता को भरमाने में लगे हुये हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष धनेनद्र साहू, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा, महामंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अपने निर्माण के समय कर मुक्त राज्य की परिकल्पना वाला छत्तीसगढ़ राज्य तंगहाली की कगार पर पहुंच चुका है. भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री रमनसिंह, जिनके पास वित्त विभाग का प्रभार भी है; के कुप्रबंधन के कारण राज्य के खजाने की हालत खराब हो चुकी है. छत्तीसगढ़ के 2 करोड़ 55 लाख लोगो पर 13227 करोड़ रू. कर्ज है. 5187 रूपयों का कर्ज हर छत्तीसगढ़वासी पर रमन सरकार ने लाद दिया है. 3000 करोड़ रूपयों के कर्ज के बाद यह राशि 1176 रू. बढ़कर 6363 रू. हो जायेगी.

इन नेताओं ने कहा है कि फिजूल खर्ची अनुत्पादक व्यय और भ्रष्टाचार के कारण छत्तीसगढ़ राज्य की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है. भाजपा सरकार ने प्रदेश के खनिज संसाधन आयरन ओर, बाक्साइट, कोल खदानों को निजी कंपनियों को पहले ही बेच चुकी है. जंगल काट कर बेच डाले गये. वन क्षेत्र 44 से 39 प्रतिशत तक पहुँच गया. उसके बाद सरकार कर्ज लेने की कवायद में जुट चुकी है. सरकार के ऊपर 13 हजार करोड़ से भी अधिक का कर्ज चढ़ चुका है. सरकार बांडो के जरिये और ऋण लेने की तैयारी कर रही है.

कांग्रेसी नेताओं ने कहा है कि एक ओर मुख्यमंत्री कहते है कि बांड की जरूरत नहीं और दूसरी ओर रिजर्व बैंक से कर्ज ले रहे है. मुख्यमंत्री रमनसिंह को बताना चाहिये कि कर्ज लेने की जरूरत क्यों पड़ी? कांग्रेस का आरोप है कि राज्य के वित्त विभाग के अवर सचिव और जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी की गयी विज्ञप्ति के अनुसार सरकार लोगो से धन इकट्ठा करने के लिये बांड जारी करने की तैयारी में लगी है.

नेताओं ने कहा कि 31 मार्च 2012 को छत्तीसगढ़ शासन पर बाजार ऋण 2199.58 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय अल्प निधि बचत से उधार 5362.97 करोड़ रुपये, जीवन बीमा निगम से प्राप्त ऋण 20.29 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की साख निधि से ऋण रुपये 555.34 करोड़, साधारण बीमा निगम से प्राप्त ऋण रू. 7.79 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय सहकारी विपणन निगम से प्राप्त ऋण 8.56 करोड़ रुपये, क्षतिपूर्ति और अन्य बांड 241.69 करोड़ रुपये, केन्द्रीय शासन से ऋण तथा अग्रिम 2289.74 करोड़ रुपये, भविष्य निधि आदि 2641.07 करोड़ रुपये है. तमाम ऋण को अगर जोड़ा जाये तो यह 13327.03 करोड़ रुपये होता है. नेताओं का कहना है कि अभी मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के प्रावधानों के अनुसार उत्तरवर्ती मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य लोक ऋणों का अंतिम प्रभाजन अब तक नहीं किया गया है.

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