देश विदेश

चीन में पत्रकारिता पर पहरा

बीजिंग | एजेंसी: चीन की समृद्धि और उसके विकास के बावजूद पत्रकारिता पर से सरकार का पहरा नहीं हटा है. चीन में कई दशकों के आर्थिक विकास के साथ समाज में कई बदलाव आए हैं. जैसे, तलाक प्रक्रिया आसान हुई है, सेक्स अब नितांत गोपनीय विषय नहीं रहा है, फैशन में बदलाव आया है और संस्कृति के प्रति गौरव की भावना फिर से दिखाई पड़ने लगी है. लेकिन वैचारिक स्वतंत्रता में स्थिति नहीं बदली है. यह आजादी उल्टे घटी ही है.

सरकारी पक्ष हालांकि यही है कि चीन के पत्रकार स्वतंत्र हैं.

शंघाई में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का समाचार पत्र दैनिक जेफांग या लिबरेशन डेली की पार्टी सचिव ली युन ने कहा, “हमारी लिखने की आजादी में कोई हस्तक्षेप नहीं है.”

ली समूह की एक पत्रिका के निदेशक भी हैं, जिसका हिंदी अनुवाद ‘भ्रष्टाचार विरोधी’ होता है.

ली ने कहा कि पत्रकारों का सम्मान बढ़ा है, क्योंकि वे नैतिक पत्रकारिता करते हैं.

ली भारत से आए पत्रकारों के दल की मेजबानी भी कर रही थीं.

शंघाई युनाइटेड मीडिया समूह में विदेश मामलों के निदेशक शिया जुन ने कहा, “चीन में मीडिया की आजादी के लिए उसी तरह से कानूनी सहायता उपलब्ध है, जैसे अमरीका में है.” दैनिक जेफांग इसी समूह का अखबार है.

इस दैनिक को सरकार हर साल करीब 85 लाख डॉलर की सहायता देती है. इसके अलावा अखबार को विज्ञापन, सर्कुलेशन और दो भवनों में दूसरी कंपनियों को किराए पर दिए गए स्थान से भी आमदनी होती है.

बीजिंग में एक समाचार पोर्टल चाइना डॉट ऑर्ग के उप निदेशक कियान वांग ने कहा कि उसके पत्रकार चीन में होने वाले भ्रष्टाचार पर लिखते हैं. थोड़ी गहराई से तहकीकात करने से हालांकि पता चला कि पोर्टल की भ्रष्टाचार संबंधी सारी खबरें या तो समाचार एजेंसी सिन्हुआ से या विदेश तथा अन्य मंत्रालय के बयानों से ली गई होती हैं.

बीजिंग के चाइना डेली के उप प्रधान संपादक वांग हाओ ने भारतीय पत्रकारों से कहा, “सरकारी स्वामित्व तो है. लेकिन हमारी नीति राष्ट्र हित के आधार पर तय होती है.”

अखबार में कई बार भ्रष्टाचार पर पूरे पृष्ठ की रपट होती है. लेकिन और कुरेदने पर उन्होंने कहा, “हम उतने मजबूत नहीं हैं कि अपनी तरफ से जांच कर सकें.”

वांग ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी सूचना अधिकारी हालांकि उन्हें निर्देश देते हैं और सूचनाओं की पृष्ठभूमि से अवगत कराते हैं. फिर भी उन्होंने कहा, “चयन हमारा अपना होता है.”

ऑल चाइना जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के कार्यकारी सचिव और वरिष्ठ संपादक झू सौचेन ने कहा कि दूसरी जगहों की तरह चीन में भी समाचार पत्र पढ़ने वालों की संख्या घट रही है. उन्होंने कहा कि संगठन एक आचार संहिता का पालन करते हैं और जो इसका उल्लंघन करते हैं, उन्हें दंडित किया जाता है. उन्होंने पैसे लेकर खबर लिखने का एक उदाहरण दिया. आचार संहिता की अंग्रेजी प्रति हालांकि नहीं मिली.

झू ने बताया कि चीन में 1,900 अखबार और करीब 2,000 टेलीविजन केंद्र हैं, जिसमें कुल करीब 10 लाख लोग काम करते हैं. उन्होंने कहा कि युवा पत्रकार वेबो जैसी नवीन मीडिया की तरफ बढ़ रहे हैं, जो ट्विटर की तरह चीन का माइक्रोब्लॉगिंग साइट है.

उपयोगकर्ताओं के मुताबिक, तमाम सरकारी पाबंदियों के बीच वेबो ही वह मंच है, जहां आनन-फानन में कोई सूचना लाखों-लाख लोगों तक पहुंच सकती है. सरकार हालांकि इस पर नजर रखती है और कुछ ही घंटों में विरोधात्मक चर्चा पर कार्रवाई शुरू कर देती है, लेकिन तब तक सूचना दूर तक पहुंच सकती है.

सरकारी पहरों के बीच शायद यही एक खिड़की चीन के मीडिया में मौजूद है, जहां पत्रकारिता आजादी की खुली सांस ले सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!