स्वास्थ्य

वैश्विक बाल मृत्यु दर आधी हुई: यूएन

नई दिल्ली | एजेंसी: पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु रोकने के लिए किए गए वैश्विक और राष्ट्रीय प्रयासों के कारण 1990 के बाद से दुनियाभर में बाल मृत्यु दर घटकर आधी हो गई है. यह जानकारी शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट में दी गई.

रिपोर्ट ‘2013 प्रोग्रेस रिपोर्ट ऑन कमीटिंग टू चाइल्ड सर्वाइवल : अ प्रॉमिस रीन्यूड’ के मुताबिक, पिछले साल हर दिन लगभग 18,000 या पूरे साल लगभग 66 लाख ऐसे बच्चों की मौत हुई, जो अपना पांचवां जन्मदिन पूरा नहीं कर पाए.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), विश्व बैंक समूह और संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग व जनसंख्या प्रभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्या 1990 में पांच साल की उम्र के पहले मरने वाले बच्चों की संख्या की आधी है. 1990 में यह संख्या 120 लाख से अधिक थी.

यूनीसेफ के सहायक निदेशक एंथनी लेक ने कहा, “यह एक सकारात्मक रुझान है. लाखों जिंदगियां बचाई गईं.”

उन्होंने कहा, “हम अभी और भी बेहतर कर सकते हैं. सामान्य कदमों को उठाकर हम इनमें से अधिकांश जिंदगियां बचाई जा सकती हैं. कई देशों ने ऐसे कदमों को पहले से उठाया है. दरअसल, हमें आवश्यकता की एक गहरी भावना की जरूरत है.”

रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावी और सस्ते उपचार, माताओं के आहार और शिक्षा में सुधार, गरीब और शोषित लोगों के लिए महत्वपूर्ण नई सेवाओं और निरंतर राजनैतिक प्रतिबद्धता के कारण बच्चों की मौतों में कमी आई है. रिपोर्ट अनुसार 1990 की तुलना में दुनिया के सबसे गरीब देशों में बच्चों की उत्तरजीविता में जोरदार बढ़ोत्तरी हुई है.

रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, उच्च मृत्युदर, न्यूतम आय वाले बांग्लादेश, इथोपिया, लाइबेरिया, मलावी, नेपाल, तिमोर लेस्ते और तंजानिया जैसे देशों में पांच साल की आयु के अंदर मरने वाले बच्चों की मृत्यु दर में 1990 की तुलना में दो-तिहाई या इससे भी अधिक गिरावट आई है.

विश्व मे सबसे कम बाल मृत्यु दर पूर्वी एशिया और एशिया प्रशांत में है. 1990 के मुकाबले इस क्षेत्र में पांच साल की आयु के अंदर मरने वाले बच्चों की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मिलेनियम डेवलपमेंट गोल (एमडीजी) द्वारा 2015 तक समग्र बाल मृत्यु दर दो तिहाई तक कम करने का लक्ष्य है.

रिपोर्ट में निमोनिया, दस्त और मलेरिया को वैश्विक रूप से बच्चों की मौत का मुख्य कारण बताया गया. इन रोगों से पांच साल तक की आयु के लगभग 6,000 बच्चे रोज मरते हैं. इसी उम्र में आधे बच्चे कुपोषण की वजह से भी मरते हैं.

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