छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: दो हजार करोड़ का निवेश होगा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में करीब दो हजार करोड़ के निवेश के लिये तीन समझौतों पर बुधवार को हस्ताक्षर किे गये. खाद्य, रक्षा तथा खनिज के क्षेत्र में ये निवेश होने हैं. इन एम.ओ.यू. पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की उपस्थिति में राज्य शासन की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव सुबोध कुमार सिंह और रक्षा उत्पाद इकाई की स्थापना के लिए मेसर्स ईरेन सिस्टम्स की ओर से सुबोध अग्रवाल, खनिज कम्पनी मेसर्स एम.एस.व्ही.स्टोन एल.एल.पी. की ओर से विनय कुमार और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (कुक्कुट आहार संयंत्र) की स्थापना के लिए मेसर्स एबीस एक्सपोर्ट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के संचालक बहादुर अली ने हस्ताक्षर किए.

इस अवसर पर बताया गया कि राज्य में रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद और धमतरी जिले में ग्रेनाइट भंडार के 195 क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं. इन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए मेसर्स एस.एस.वी. स्टोन एल.एल.पी. के साथ 58.80 करोड़ रूपए के निवेश के लिए एम.ओ.यू. किया गया. यह परियोजना महासमुंद जिले में प्रस्तावित है. इसमें लगभग एक सौ युवाओं को प्रत्यक्ष और 300 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे.

रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश के लिए मेसर्स ईरेन सिस्टम्स के साथ एम.ओ.यू. किया गया. इस एम.ओ.यू. के अंतर्गत मेसर्स ईरेन सिस्टम्स द्वारा आधुनिक तकनीक के साथ स्टेट ऑफ आर्ट अधोसंरचना के साथ एक डिफेंस टेक्नालॉजी सिटी विकसित की जाएगी. इसके अंतर्गत डिफेंस मेन्यूफेक्चरिंग क्लस्टर, डिफेंस रिसर्च लेब और टेस्टिंग फेसेलिटी तथा डिफेंस स्मार्ट सिटी की स्थापना की जाएगी. इस क्षेत्र में उच्च कुशलता वाले युवाओं के साथ-साथ राज्य के कुशल युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इस परियोजना की स्थापना से डिफेंस के क्षेत्र में कौशल उन्नयन और रोजगार के अवसर बढेंगे और राज्य के लोगों का आर्थिक उन्नयन होगा.

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए राजनांदगांव जिले के इंदामारा में मेसर्स एबीस एक्सपोर्ट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एक हजार टन प्रतिदिन कुक्कुट आहार उत्पादन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र की स्थापना के लिए एम.ओ.यू. किया गया. इस परियोजना में लगभग 112 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश होगा और 700 लोगों को प्रत्यक्ष और लगभग दो हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे. कुक्कुट आहार परियोजना में मुख्य रूप से मक्का, सोया और चावल का उपयोग किया जाएगा. इस संयंत्र की स्थापना से राज्य के मक्का और सोया उत्पादकों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल सकेगा.

इस संयंत्र में लगभग डेढ़ लाख टन मक्का, 66 हजार टन सोया और 24 हजार टन चावल का उपयोग होगा. वर्ष 2014-15 में प्रदेश में लगभग 7.45 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ. कुछ क्षेत्रों में मक्के का उत्पादन लगभग दोगुना हुआ है. संयंत्र की स्थापना से प्रदेश में मक्के के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.

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