छत्तीसगढ़ताज़ा खबर

छत्तीसगढ़ ग्रामीण निरक्षरता में देश में आगे

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में शिक्षा की हालत खराब है.ग्रामीण क्षेत्रों में निरक्षरता का हाल ये है कि राज्य पूरे देश में निरक्षरता का परचम लहराते हुये पांचवें नंबर पर है. यही नहीं, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत 27 में 15 ज़िले शैक्षिक रुप से पिछड़े हैं. यह तब है, जब राज्य के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इन करोड़ों रुपये से कितने लोगों का कल्याण हो रहा है, इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में ग्रामीण निरक्षरता का प्रतिशत 35.73 है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 39.55 प्रतिशत है. राज्य में कुल ग्रामीण जनसंख्या 1,95,83,938 है, जिनमें निरक्षर लोगों की संख्या 77,45,604 है.

निरक्षरता में छत्तीसगढ़ से ऊपर केवल चार राज्य हैं, इनमें तेलंगाना 40.44 प्रतिशत, बिहार 43.92 प्रतिशत, मध्यप्रदेश 44.23 प्रतिशत और राजस्थान 47.58 प्रतिशत है.

लेकिन मामला यहीं तक नहीं है. राज्य में शिक्षा के दूसरे आंकड़ों का भी बुरा हाल है. देश के मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के अनुसार- यूजीसी ने शैक्षिक रुप से पिछड़े ज़िलों के रुप में 374 ज़िलों की पहचान की है, जहां उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2001 के जनगणना आंकड़े के आधार पर 12.4 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से भी कम था. इनमें छत्तीसगढ़ के 15 ज़िले शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ के जिन जिलों को शैक्षिक रुप से पिछड़े ज़िलों की श्रेणी में रखा गया है, उनमें रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, धमतरी, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, जशपुर, कांकेर, कबीरधाम, कोरिया, महासमुंद, रायगढ़, राजनांदगांव, सरगुजा शामिल हैं.

कम साक्षरता वाले ज़िलों में आदिवासी शिक्षा खास कर लड़कियों की शिक्षा की हालत तो और भी खराब है. आंकड़ों में देखें तो छत्तीसगढ़ में शिक्षा के सुदृढीकरण के लिये चलाये गये विशेष अभियान का लाभ पिछले तीन सालों में कुल जमा 192 लड़कियों को मिल पाया है.

आदिवासी लड़कियों और महिलाओं के लिये शिक्षा के बाद रोजगार की भी कोई गारंटी नहीं है. इसे महज एक उदाहरण से समझा जा सकता है. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम यानी एनएसटीएफडीसी आदिवासी महिलाओं के लिये आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना चलाता है. योजना को लेकर छत्तीसगढ़ में भी बड़े-बड़े दावे हैं. इस योजना के तहत किसी आदिवासी महिला को अपना व्यवसाय या कोई उपक्रम शुरु करने के लिये 90 प्रतिशत तक का ऋण 4 प्रतिशत के वार्षिक ब्याज पर दिया जाता है.

लेकिन छत्तीसगढ़ में 2014-15 में इस योजना का लाभ केवल 6 महिलाओं को मिला. 2015-16 में यह आंकड़ा 83 तक पहुंचा और 2016-17 में भी केवल 143 महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल सका.

error: Content is protected !!