सिर पर मैला ढोया जाता है!
नई दिल्ली | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में अभी भी तीन लोग सिर पर मैला ढोते हैं. इस बात की जानकारी मंगलवार को लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री विजय साम्पला ने दी. हालांकि लोकसभा में पेश किये गये आकड़ों के अनुसार देश में सिर पर मैला ढोने वाले छत्तीसगढ़ में सबसे कम हैं तथा उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा 10,016 हैं. उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में सिर पर मैला ढोने वालों की संख्या एक भी नहीं है. वहीं, छत्तीसगढ़ के साथ अस्तित्व में आये झारखंड में इस प्रथा का नामोनिशान तक नहीं है.
लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री विजय साम्पला द्वारा दी गई लिखित जानकारी से जाहिर है कि छत्तीसगढ़ में अभी भी सिर पर मैला ढोने की प्रथा का समूल अंत नहीं किया जा सका है. दूसरी ओर देश में सिर पर मैला ढोने वालों की संख्या छत्तीसगढ़ में सबसे कम होना भी अपने आप में एक सकारात्मक संकेत है.
गौर करने वाली बात यह है कि देश में केवल 11 राज्यों में अभी भी इस कुप्रथा का चलन है. जिसमें आंध्र प्रदेश में 89, बिहार में 137, छत्तीसगढ़ में 3, जम्मू-कश्मीर में 119, कर्नाटक में 302, ओडिशा में 386, पंजाब
में 64, राजस्थान में 284, उत्तर प्रदेश में 10,016, उत्तराखंड में 137 तथा पश्चिम बंगाल में 98 की संख्या है. इनके अलावा बाकी के केन्द्र शासित प्रदेशों तथा राज्यों से इस कुप्रथा का समूल विलोपन कर दिया गया है.
हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियो के पुनर्वास के लिये अधिनियम, 2013 दिनांक 06.12.2013 से लागू है.
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री की अध्यक्षता में दिनांक 13.01.2014 को एक केन्द्रीय मानीटरिंग समिति गठित कर दी गई है. इस अधिनियम के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करने के लिए दिनांक 28.01.2014 तथा 21.08.2014 को सीएमसी की दो बैठकें संपन्न हो गई हैं.
इस बैठक में राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से अपेक्षा की गई है कि एक समयबद्ध रीति में अस्वच्छ शौचालयों और हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों का पूर्ण सर्वेक्षण. अभिज्ञात हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के लिए पहली बार नकद सहायता का भुगतान करना और उनका व्यापक पुनर्वास करना.
अब, उस दिन की प्रतीक्षा करनी चाहिये जब छत्तीसगढ़ से सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समूल खत्म कर दिया जायेगा. वैसे, छत्तीसगढ़ जिस तेजी से विकास कर रहा है तथा छत्तीसगढ़ में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की शूटिंग हो रही है, आईपीएल मैच कराये जा रहें हैं, मॉल बनाये जा रहें हैं, पिज्जा की दुकाने खुल रहीं हैं, कॉर्पोरेट अस्पताल बन रहें हैं, एयरपोर्ट को अंतर्ऱाष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने का काम जारी है उससे लगता है कि इस कुप्रथा का फौरन खात्मा करना सरकार के लिये कोई कठिन काम नहीं है.