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50 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते किताब

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के 50 फीसदी सरकारी स्कूल के बच्चे किताब नहीं पढ़ पाते. राज्य के 19 जिलों का यह हाल है. नारायणपुर जिले के सरकारी स्कूलों में तो केवल 17 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे हैं, जो किताबें पढ़ पाते हैं. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के दौरान किए गए सामाजिक अंकेक्षण से यह बात सामने आई है.

इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 44.4 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के बच्चों का पठन कौशल बेहतर माना जा सकता है. लेकिन आदिवासी बहुल इलाकों में बुरा हाल है.

रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग के सरकारी स्कूलों का भी हाल बहुत बुरा है. राज्य में सबसे अच्छे सरकारी स्कूल बालोद जिले में हैं, जहां 75.2 फीसदी स्कूली बच्चे किताब पढ़ पाते हैं. बालोद के अलावा बेमेतरा, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, कोरबा, महासमुंद, सूरजपुर और रायगढ़ जिलों की स्थिति भी ठीक है.

इस रिपोर्ट की मानें तो राज्य के 24 फीसदी स्कूलों में बच्चे नियमित आते ही नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में 74.6 प्रतिशत स्कूलों में बच्चे नियमित रूप स्कूल आते हैं. केवल तीन जिले राजनांदगांव, बालोद और धमतरी ऐसे हैं, जहां 90 फीसदी से अधिक बच्चे नियमित स्कूल पहुंचते हैं. इन तीनों जिलों में बच्चों के स्कूल पहुंचने का प्रतिशत 92.2, 97.1 और 91.3 प्रतिशत है. माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा, नारायणपुर एवं कोरिया जिले में तो 45 प्रतिशत से भी कम बच्चे नियमित रूप से स्कूल आते हैं.

ठीक से किताब पढ़ पाने वाले स्कूलों का जिलेवार प्रतिशत इस प्रकार है-
जिला प्रतिशत
बालोद 75.2 प्रतिशत
बेमेतरा 57 प्रतिशत
कोरबा 56.5 प्रतिशत
राजनांदगांव 52.7 प्रतिशत
बलौदाबाजार 52.4 प्रतिशत
महासमुंद 51.7 प्रतिशत
सूरजपुर 51 प्रतिशत
रायगढ़ 50.9 प्रतिशत
रायपुर 48.5 प्रतिशत
कवर्धा 48.5 प्रतिशत
मुंगेली 48.1 प्रतिशत
बलरामपुर 47.3 प्रतिशत
धमतरी 47 प्रतिशत
बिलासपुर 46.7 प्रतिशत
कांकेर 46.2 प्रतिशत
गरियाबंद 45 प्रतिशत
जशपुर 42 प्रतिशत
सरगुजा 36.1 प्रतिशत
जांजगीर 35.1 प्रतिशत
कोंडागांव 34.3 प्रतिशत
दुर्ग 32.4 प्रतिशत
बस्तर 30.9 प्रतिशत
कोरिया 28.6 प्रतिशत
सुकमा 24.8 प्रतिशत
बीजापुर 20.2 प्रतिशत
दंतेवाड़ा 19.9 प्रतिशत
नारायणपुर 17.2 प्रतिशत

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