बस्ते का बोझा कम करने कार्यशाला
रायपुर | संवादाता: छत्तीसगढ़ के रायपुर में 200 निजी स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षा विशेषज्ञ तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बैठक कलेक्टर ने बुलाई है. यह बैठक 14 सितंबर दिन बुधवार को राजधानी रायपुर के रेडक्रॉस भवन में रखी गई है.
उल्लेखनीय है कि रायपुर के जिला कलेक्टर ओपी चौधरी द्वारा स्कूली बच्चों के बोझ कम करने के लिये जारी किये गये निर्देशों की निजी स्कूलों द्वारा अवहेलना करने की शिकायत के बाद इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. कलेक्टर द्वारा आयोजित इस कार्यशाला के बाद भी जिन स्कूलों द्वारा बच्चों के बस्तों का बोझ मानकों के अनुसार नहीं किया जायेगा उन पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी.
पिछले बुधवार को रायपुर के जिला कलेक्टर ओपी चौधरी ने नर्सरी से मिडिल स्कूल तक के बच्चों का वजन तय कर दिया था.
दरअसल, मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद जारी आदेश के अनुसार केजी से कक्षा दूसरी तक बस्ते का वजन दो किग्रा, तीसरी व चौथी के बस्ते का बोझ तीन किग्रा तथा पांचवीं से सातवीं तक चार किग्रा करने का आदेश दिया गया था.
उल्लेखनीय है कि एसोसिएटिड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया के तहत हेल्थकेयर कमेटी ने इस रिसर्च किया था. जिसमें भारत के 13 साल तक की उम्र के 68 फीसदी बच्चे हल्का कमर दर्द महसूस करते हैं जो कि बाद में विकसित होकर गंभीर दर्द या फिर कुबड़ापन के रूप में सामने आ सकता है.
सर्वे में पाया गया था कि 7 से 13 साल के 88 फीसदी बच्चे 45 फीसदी वजन आर्ट किट, स्केसट्स, स्विमबैग, क्रिकेट किट और ताइकांडो किट्स का कमर पर उठाते हैं जो कि गंभीर स्पाइनल डैमेज और कमर की समस्याओं के लिए जिम्मेदार है.
एसोचैम की हेल्थ कमेटी के चेयमैन का कहना है कि बच्चे बैग के बोझ के कारण स्लिप डिस्क के शुरूआती चरण, स्पॉन्डिलाइटिस, स्पोंडिलोलिस्थीसिस, लगातार पीठ में दर्द की शिकायत, रीढ़ की हड्डी में दर्द जैसी समस्याओं को झेल रहे हैं.
बस्ते के ज्यादा वजन से क्या होता हैं-
ज्यादा बोझ के कारण बच्चो की रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ सकता है. बच्चे के लिए दस किलो उठाना वैसा ही हो सकता है जैसा किसी वयस्क के लिए तीस या चालीस किलो उठाना. ऐसे मे यह जानना जरुरी है कि बस्ते का वजन कम हो जिससे बच्चे को किसी तरह नुकसान ना हो.
चिल्ड्रंस स्कूल बैग एक्ट-
चिल्ड्रंस स्कूल बैग एक्ट 2006 के मुताबिक, बच्चों के स्कूल बैग का वजन उनके वजन से 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिये. नर्सरी और प्ले स्कूल के बच्चों को स्कूल बैग की मनाही है. नर्सरी और प्ले स्कूल के लिए बैग्स को लेकर अलग से गाइडलाइंस हैं. साथ ही ये भी राज्य सरकार को सलाह है कि वे बच्चों को लॉकर की सुविधा मुहैया करवायें.