छत्तीसगढ़

किसानों को धान खुद बचाना होगा!

रतनपुर | उस्मान कुरैशी: छत्तीसगढ़ में बेमौसम हुई बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है. बेमौसम हुई बारिश का खामियाजा भी किसानों को भुगतना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर का हाल तो सबसे बेहाल है जहां धान की खरीदी करने वाले समिति के प्रबंधक का कहना है कि किसानों को बारिश से अपने धान को खुद को बचाना पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि समिति के द्वारा खरीदी गई धान सुरक्षित है. उल्लेखनीय है सेवा सहकारी समिति मर्यादित रतनपुर में किसान अपना धान बेचने आये थे तथा बेमौसम बारिश से उनका धान भींग गया है. अब समिति वाले उस धान को खरीदने से ना-नुकुर कर रहें हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान जाये तो कहां जाये?

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में कई किसानों की मंडी पहुंची धान समुचित सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होने से भीग गई है. जिसके चलते उपार्जन केन्द्र में धान की खरीदी पूरी तरह ठप हो गई है.

सेवा सहकारी समिति मर्यादित रतनपुर, छत्तीसगढ़ धान उर्पाजन केन्द्र में धान की खरीदी बंद है. बड़ी तादात में इस क्षेत्र के किसानों ने अपनी उपज सरकारी कीमत में बेचने यहां लाकर रखा है. उपार्जन केन्द्र में किसानों के धान असुरक्षित खुले में रखे हुए है. जिनको ढ़कने की व्यवस्था भी समिति के द्वारा नहीं की गई है. जिसके चलते सोमवार की सुबह अचानक हुई बारिश से खुले में रखे किसानों के सैकड़ों क्विंटल धान भीग गए है.

अब समिति के कर्मचारी गीले धान को खरीदने से इंकार कर रहे है. बिक्री के लिए उपार्जन केन्द्रों में आए किसानों के धान अब भी खुले आसमान के नीचे पड़े हुए है. जिनको ढ़कने समिति की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है. किसानों अपनी उपज बचाने खुद मशक्कत करनी पड़ रही है.

करैहापारा के किसान ओम प्रकाश पटेल शनिवार को यहां लेकर धान बेचने आए है. तौल नहीं होने इनका खुले में रखा धान यहां भीग गया. उनको अपनी उपज बचाने खुद मशक्कत करनी पड़ रही है. धान की खरीदी बंद होने से हमाल यहां धान के फड के उपर बैठकर ताश खेलकर अपना टाईम पास कर रहे है.

वहीं, खरीदी करने वाला अमला भी मौके से नदारत है. पर्याप्त व्यवस्था नही होने से अब भी सैकड़ों क्विंटल धान के यहां खराब होने का संकट मंडरा रहा है.

सेवा सहकारी समिति मर्यादित रतनपुर कर्मचारी इनकी सुरक्षा के उपाय करने में भी नाकाम है. पहले ही कम खरीदी की मार झेल रहे किसानों के लिए ये दोहरा संकट है. गौरतलब है कि इस बार छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों से प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान ही खरीदने का फैसला लिया है.

इस मामले में समिति प्रबंधक राकेश श्रीवास का कहना है कि समिति द्वारा खरीदी गई धान सुरक्षित है. किसानों को अपनी धान को खुद ही बचाना होगा . अब जमीन और धान के सूखने के बाद खरीदी शुरू हो सकेगी. उल्लेखनीय है कि समिति के प्रबंधक को किसानों के धान को बचाने की कोई फिक्र नहीं है. उन्हें तो केवल अपने नौकरी की ही चिंता है. दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ को केन्द्र सरकार ने कृषि कर्मण पुरस्कार देने की घोषणा की है. वहीं, छत्तीसगढ़ की न्यायाधानी कहलाने वाले बिलासपुर के रतनपुर के किसान अपने धान के साथ न्याय के इंतजार में हैं.

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