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छत्तीसगढ़: पब्लिक प्राइवेट का झगड़ा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-भाजपा के बीच पब्लिक-प्राइवेट की परिभाषा को लेकर बहस छिड़ गई है. सोमवार को कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनियों को पब्लिक लिमिटेड से प्राइवेट लिमिटेड करने पर कहा कि इससे निजी कंपनियां को शेयर खरीदने का मौका मिल जायेगा.

उन्होंने मामले के तकनीकी पहलू की जानकारी देते हुये कहा कि पब्लिक लिमिटेड कंपनी को अपने शेयर बेचने के ऑफर जनता को देने पड़ते हैं जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपनी पसंद-नापसंद से किसी को भी शेयर बेच सकती है.

इसी तरह से पब्लिक लिमिटेड कंपनी के अनगिनत शेयर होते हैं, सरकार चाहे तो थोड़े-थोड़े शेयर बाजार में बेच सकती है. जबकि प्राइवेट कंपनी में सीमित शेयर हो सकते हैं. चूंकि, पब्लिक में जाने की बाध्यता खत्म हो जायेगी इसलिये शेयर एक मुश्त किसी निजी कंपनी को बेचे जा सकते हैं. इस तरह से कंपनी पर निजी मालिकाना हो सकता है.

इस पर भाजपा प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने पलटवार करते हुये कहा बिजली कंपनियों के कर्मचारियों में भ्रम फैलाया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि नाम परिवर्तन के बाद भी सरकार ही कंपनी की मालिक रहेगी.

उन्होंने कहा कि साल 2013 में यूपीए सरकार ने कंपनी एक्ट में बदलाव किया था. यह आदेश उस बदलाव का हिस्सा है. उन्होंने तंज कसा कि अर्धज्ञानी लोग भ्रम फैला रहें हैं.

उधर, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि कंपनी के निजी हाथों में जाने की स्थिति में लाभांश कोई अडानी या अंबानी ले जायेगा.

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