गरीबी कम करने में छत्तीसगढ़ फिसड्डी
रायपुर | संवाददाता: क्या छत्तीसगढ़ गरीबी को रोकने में असफल साबित हुआ है? कम से कम भारत सरकार के आंकड़े तो यही कहते हैं. छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में गरीब और गरीबी का ग्राफ तेजी से कम हुआ है. लेकिन छत्तीसगढ़ देश में अब भी सबसे गरीब राज्य क्यों है? यह लाख टके का सवाल एक बार फिर सामने है, जब राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह प्रति व्यक्ति आय बढ़ना का दावा करते हुये कह रहे हैं कि राज्य में प्रति व्यक्ति औसत आय 92,035 के आसपास होने का अनुमान है.
भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 1993-94 में मध्य प्रदेश में बीपीएल का आंकड़ा 44.6 प्रतिशत था, जो 2011-12 में घट कर 7.1 प्रतिशत पर आ गया. लेकिन छत्तीसगढ़ में 2011-12 में यह आंकड़ा 39.9 प्रतिशत बना हुआ है. जो बीपीएल यानी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों में देश में नंबर 1 है.
पड़ोसी राज्य ओडिशा में 1993-94 में गरीबों की संख्या 59.1 प्रतिशत थी, जो 2011-12 में केवल 18.9 रह गई. इसी तरह बिहार से अलग हो कर बने झारखंड में 1993-94 में गरीबी रेखा से नीचे की आबादी 60.7 प्रतिशत थी. यह घट कर केवल 10.3 प्रतिशत रह गई है.
राजस्थान में भी 1993-94 में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का प्रतिशत 38.3 प्रतिशत से घट कर 8.3 प्रतिशत रह गया है. तमिलनाडु में 44.6 प्रति7.1शत से घट कर 8.2 प्रतिशत रह गया है. जिस त्रिपुरा में माकपा को हरा कर भाजपा सत्ता में आई है, वहां गरीबी का आंकड़ा 32.9 प्रतिशत था, जो 2011-12 में घट कर 11.3 रह गया.
इन सब राज्यों की तुलना में गरीबी को कम करने के मामले में छत्तीसगढ़ कछुआ गति से चल रहा है. पीडीएस से लेकर निवेश और उद्योग के चमचमाते आंकड़ों के बाद भी राज्य में गरीबों की हालत खराब है. केंद्र सरकार के गरीबी के आंकलन को देखें तो 15 सालों में ओडीशा 59.1 प्रतिशत गरीब जनसंख्या को 18.9 प्रतिशत तक लाने में कामयाब रहा, मध्यप्रदेश 44.6 प्रतिशत से 7.1 प्रतिशत तक जा पहुंचा लेकिन छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का आंकड़ा 15 सालों में 50.9 से घट कर 39.9 प्रतिशत पर ही अटका हुआ है. यह भारत के कुल गरीबी रेखा से नीचे की आबादी के आकड़ों से लगभग दुगुना है. देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का आंकड़ा 1993-94 में 45.3 प्रतिशत था, जो 2011-12 में घट कर 21.9 प्रतिशत रह गया.