छत्तीसगढ़: शराबबंदी की मुहिम तेज
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के लिये मुहिम तेज हो गई है. खबरों के अऩुसार अब राष्ट्रीय स्वंक सेवक संघ भी खुलकर शराबबंदी के पक्ष में बोलने लगा हैं. छत्तीसगढ़ के संघ के प्रांत संचालक बिसराराम यादव का कहना है कि हाइवे की दुकानों को शिफ्ट करने के बजाये उन्हें बंद कर देना चाहिये. हालांकि उन्होंने माना है कि इससे राजस्व की क्षति होगी परन्तु इसकी पूर्ति दूसरे स्त्रोत से हो सकती है.
उन्होंने मीडिया से चर्चा में साफ कहा कि शराब से गरीबी, अस्वस्थता तथा दुर्व्यवहार बढ़ता है. सरकार का मत राजस्व बढ़ाना है जबकि संघ का मत है कि शराब बंद हो. बिसराराम यादव का कहना है कि शराबबंदी एक साथ न हो लेकिन धीरे-धीरे तो हो सकती है. उन्होंने कहा कि अब हम भी जनता के साथ रहने का फैसला कर लिया है.
गौरतलब है कि राजधानी रायपुर तथा सरगुजा में शराब दुकाने आबादी के पास खोले जाने का महिलायें पुरजोर विरोध कर रहीं हैं. वहीं, जोगी कांग्रेस के अजीत जोगी ने भी कहा है कि उनकी सरकार आने पर शराब बंद करा दी जायेगी.
उधर, कांग्रेस सरकार द्वारा शराब बेचने के निर्णय पर स्थगन प्रस्ताव लाने की बात कर रही है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाइवे से शराब दुकाने हटाने के निर्देश दिये जाने के बाद छत्तीसगढ़ की 416 शराब दुकानों को हाइवे से हटाना पड़ सकता है. इऩ दुकानों को जहां स्थानांतरित करने का प्रयास किया जा रहा है वहां की आबादी इसका विरोध कर रही है.
इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा उन शराब दुकानों को खुद संचालित करने जा रही है जिसका राजनीतिक के गलियारों में कड़ी आलोचना हो रही है.
दूसरी तरफ, राज्यभर में महिलायें इन शराब दुकानों को खोले जाने का सबसे ज्यादा विरोध कर रही हैं. शनिवार को रायपुर से लगे बीरगांव में महा पंचायत बुलाई गई थी जिसमें हजारों महिलाओं ने शिरकत की. आरंग में शराब दुकान खोलने के खिलाफ अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
इसी माह के पहले सप्ताह में अंबिकापुर के बतौली के महिलाओं ने शराब दुकान खोले जाने का जमकर विरोध किया था. उन्होंने कहा कि यदि यहां शराब की दुकान खुली तो वे फिर से खुले में शौच करने लगेंगी.
गौरतलब है कि बतौली को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है. यह वहां की महिलाओं के समर्थन के कारण ही संभव हो पाया है. अब महिलायें बतौली में शराब दुकान खोले जाने का विरोध कर रहीं है तथा उनकी बात न मानने पर सरकारी योजनाओं की बहिष्कार की बात कही थी.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि नेशनल हाइवे से लगी दुकानें सड़क से 500 मीटर के दायरे में नहीं होंगी. ऐसे में राज्य की 416 दुकानों के ठेकेदार दुकान चलाने के इच्छुक नहीं हैं. अब इन दुकानों से जो घाटा होगा, उसे पूरा करने के लिये ही सरकार द्वारा कार्पोरेशन का गठन किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि साल 2015-16 में राज्य सरकार को कुल 69972 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था जिसमें आबकारी विभाग की भागीदारी 3347.54 करोड़ रुपया था. इस तरह से राजस्व की प्राप्ति में आबकारी विभाग की भागीदारी महज 5 फीसदी से भी कम रही है.
राज्य स्थापना के समय आबकारी से 32.16 करोड़ का राजस्व मिला था जो 16 साल में बढ़कर 3347.54 करोड़ का हो गया है.