एपीएल को चावल बंद
रायपुर | छत्तीसगढ़ संवाददाता: छत्तीसगढ़ की खस्ताहाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का खामियाज़ा राज्य के पुराने एपीएल कार्डधारियों को भरना पड़ रहा है. प्रदेशभर में राशन कार्डों को लेकर मची अफरा-तफरी के बीच राज्य के पुराने एपीएल कार्डधारियों को चावल मिलना बंद हो गया है. इसके पीछे पीडीएस व्य़वस्था में हो रही भारी लापरवाही को जिम्मेदार है.
दरअसल राज्य सरकार द्वारा पहले अभियान चलाकर नए नाम जोडऩे के लिए निर्देश जारी किए गए थे. इसके बाद बड़ी संख्या में नाम जोड़े गए थे. उस समय यह कहा गया था कि पुराने कार्डधारियों को राशनकार्ड बनवाने की जरूरत नहीं है. पुराने कार्ड से ही चावल मिलता रहेगा, लेकिन एपीएल के पुराने राशन कार्डधारी को राशन मिलना बंद हो गया है.
राज्य सरकार द्वारा जारी किए जा रहे रोजाना नए-नए निर्देशों से कई जिलों में पीडीएस व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. यहीं नहीं राज्य सरकार द्वारा चलाए गए चावल उत्सव के दौरान अंधाधुंध तेजी से बने कार्डों ने भी खाद्य व्यवस्था गड़बड़ा दी है. साल 2008 में 33 लाख राशनकार्डों के बाद इस साल के शुरुआत तक कुल कार्डधारियों की संख्या 66 लाख पहुंच गई थी, लेकिन चावल उसव के दौरान नए कार्ड बनाए गए. जिससे इस संख्या में और वृद्धि हो रही है
रायपुर जिले में 60 हजार और दुर्ग जिले में चालीस हजार नए कार्ड बनाए गए हैं. इस तरह राशन कार्डों की संख्या में 5 से 10 लाख की बढ़ोतरी हो सकती है. प्रदेश में राशन कार्ड और चावल वितरण व्यवस्था में ढेरों शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंच रही हैं.
मुख्यमंत्री ने विकासयात्रा के दौरान राशन कार्ड बनाने के नाम पर पैसे लेने की शिकायत आने पर एक खाद्य अधिकारी को निलंबित भी किया था. बताया गया कि जशपुर जिले में भी जनप्रतिनिधियों ने राशन कार्ड बनाने के नाम पर उगाही की शिकायत गृहमंत्री ननकीराम कंवर से की थी. इस पर कंवर ने सार्वजनिक रूप से कलेक्टर को फटकार लगाई थी.
इन सबके बावजूद राशन कार्ड बनाने के नाम पर उगाही हुई है और राशन वितरण व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 तक राशन कार्डों की संख्या 39 लाख थी. बाद में अपात्र लोगों के खिलाफ व्यापक अभियान छेड़ा गया था. इसके बाद कुल राशन कार्डों की संख्या 33 लाख के आसपास रह गई थी, लेकिन चुनावी साल में सरकारी अभियान के चलते यह संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है.