छत्तीसगढ़

एनटीपीसी घोटाले की सीबीआई जांच शुरु

रायगढ़ | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में एनटीपीसी घोटाले की जांच सीबीआई ने शुरु कर दी है. टीम में चार सदस्य हैं और उन्होंने सबसे पहले ज़िले के कलेक्टर से मुलाकात की और जांच का काम शुरु भी कर दिया है.

गौरतलब है कि रायगढ़ ज़िले के पुसौर विकासखंड के लारा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के 4000 मेगावॉट बिजली संयंत्र के लिये 9 गांवों की 924.334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण शुरु हुआ और मुआवज़ा देने की प्रक्रिया शुरु हुई तो एनटीपीसी के अफसर चकरा गये. जिस ज़मीन के लिये बमुश्किल 5 लाख रुपये मुआवजा देना था, उस ज़मीन के बदले एनटीपीसी को कई करोड़ रुपये देने पड़ गये.

ज़मीन की क़ीमत के अलावा एनटीपीसी की पुनर्वास नीति के अनुसार प्रभावित को पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा भी दिया जाना था.

हुआ ये कि जिन ज़मीनों का एनटीपीसी ने अधिग्रहण शुरु किया, पांच लाख रुपये के मुआवजे के लिये किसानों ने उन ज़मीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में अपने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम कर दिया.

उदाहरण के लिये किसी किसान की अगर एक एकड़ यानी लगभग 43560 वर्गफीट ज़मीन का अधिग्रहण किया जाना था तो उस किसान ने अपनी ज़मीन को पांच-पांच सौ वर्गफीट के टुकड़े में काट कर 70-80 लोगों को बेच दिया या रिश्तेदार हुये तो मुफ्त में उनके नाम ज़मीन की रजिस्ट्री करा दी.

एक एकड़ ज़मीन के लिये अगर 10 लाख रुपये ज़मीन की क़ीमत और 5 लाख रुपये मुआवजे की रक़म यानी कुल 15 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था, उसके बदले एनटीपीसी को केवल मुआवजे के बतौर चार करोड़ का भुगतान करना पड़ गया.

अकेले झिलगीटार गांव में हमने ज़मीन के 1406 मामलों में फर्जीवाड़ा पाया है और इसे निरस्त करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई. ऐसे ही मामले लारा, देवलसुर्रा, आरमुड़ा, बोडाझरिया, कांदागढ़, छपोरा, महलोई एवं रियापाली गांव में भी आये.

इन गांवों में कई ज़मीनों के टुकड़े तो एनटीपीसी में काम करने वाले लोगों के ऐसे रिश्तेदारों के नाम पर भी हैं, जो छत्तीसगढ़ में नहीं रहते. कई ज़मीन अधिग्रहण में लगे सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर हैं.

जाहिर है, इस बड़े फर्जीवाड़े में ज़िले के कई आला अधिकारी शामिल हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि इन अफसरों ने मामला खुलने के बाद राजनीतिक दबाव भी बनाना शुरु किया है. लेकिन अब जबकि सीबीआई की जांच शुरु हो गई है, माना जा रहा है कि कुछ बड़े अधिकारी भी इस मामले में नप सकते हैं.

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