जेनेरिक के खिलाफ साजिश: योगेन्द्र
बिलासपुर | संवाददाता: ‘आप’ के योगेन्द्र यादव ने आशंका जाहिर की कि सिप्रोसीन में केवल चूहेमार दवा थी. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा पूरा मामला जेनेरिक दवाओं के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दवा कंपनियों का षड्यंत्र है. उन्होंने दवाओं में और कई जहरीले पदार्थ मिले होने की आशंका जताई है. आम आदमी पार्टी के योगेन्द्र यादव ने सवाल किया कि जिस चूहेमार दवा जिंक फासफाइड के महावर फार्मा के दवा सिप्रोसीन में मिलने की बात कही जा रही है उससे इतनी अधिक जाने जाना वह भी इतने कम समय में क्या संभव है. आमतौर पर जिस जिंक फासफाइड का उपयोग चूहे मारने के लिये उपयोग किया जाता है वह काले रंग का होता है जबकि सिप्रोसीन की गोली काले रंग की नहीं थी.
योगेन्द्र यादव ने आशंका जाहिर की कि यह जेनेरिक दवा को बदनाम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र हो सकता है जिसकी जांच करवाई जानी चाहिये.
गौरतलब है कि देशभर में महंगी ब्रांडेड दवा का उपयोग न करके सस्ती जेनेरिक दवा का चलन बढ़ाने के लिये सरकार के द्वारा पहल की जा रही है. जिसका सीधा नुकसान ब्रांडेड दवा बेचने वाली कंपनियों को हो रहा है. इसका एक दूसरा पहलू भी है कि भारत की दवाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की मुहिम चल रही है. यही कारण है कि बिलासपुर में नसबंदी के बाद दवा से मौत की खबर को विदेशी मीडिया ने जोर-शोर से उठाया.
उल्लेखनीय है कि भारत को ‘दुनिया का फार्मेसी’ कहा जाता है. करीब 165 देशों को भारतीय दवा कंपनियां दवाओं का निर्यात करती हैं. कई अफ्रीकी देशों की जनता तो भारत के सस्ते एड्स की दवा खाकर ही जिंदा हैं. यहां तक की भारतीय दवा कंपनी सिपला के द्वारा अमरीकी बाजार में एड्स की सस्ता दवा उपलब्ध कराने के कारण अमरीकी दवा कंपनियों को अपने दवा के मूल्य 10 गुना तक कम करने पड़े थे. उस समय से भारतीय कंपनियां पश्चिमी दवा कंपनियों की आखों की किरकिरी बनी हुई है.
इसके अलावा विदेशी बंदरगाहो में भारतीय दवाओं को उस देश के पेटेंट कानून के उल्लंघन के कारण भी नकली कह कर जब्त किया जा चुका है. कुल मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के दवाओं को बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है.
इन उपरोक्त तथ्यो के आधार पर आम आदमी पार्टी के योगेन्द्र यादव के इस कथन को नजरअंदाज नही किया जा सकता है कि इसमें कोई षड़यंत्र हो सकता है.