छत्तीसगढ़बाज़ार

छत्तीसगढ़ सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में

नई दिल्ली | संवाददाता: रघुराम राजन समिति के अनुसार छत्तीसगढ़ कम से कम विकसित राज्य है. देश के 23 राज्य छत्तीसगढ़ की तुलना में ज्यादा विकसित हैं. छत्तीसगढ़ से कम विकसित राज्यों में केवल मध्यप्रदेश, बिहार तथा ओडीसा का नाम है.

छत्तीसगढ़ सरकार विकास यात्रा निकालकर, विकास का भले दावा करे लेकिन दूसरी तरफ रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट साबित करती है कि विकास के ढ़ोल में पोल है. इस समिति का गठन केन्द्र द्वारा इस लिये किया गया था कि राज्यों को आबंटन के पहले यह तय किया जाये कि वहां पिछड़ापन कितना है. ज्ञात्वय रहे कि रघुराम राजन वर्तमान में रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं.

रघुराम राजन समिति ने इसके लिये प्रति व्यक्ति मिलने वाली औसतन कैलोरी की मात्रा जो भोजन के माध्यम से मिलती है तथा गरीबी के अनुपात को मानक माना है. इसके अलावा अन्य सूचकांकों को भी संज्ञान में लिया है. जिसका यह निष्कर्ष निकला है कि देश के 27 राज्यों में छत्तीसगढ़ का स्थान 23वां है.

रघुराम राजन समिति ने केन्द्रीय बजट में हिस्सेदारी के लिये देश के राज्यों को तीन भागो में बांटा है. पहला कम से कम विकसित राज्य जिनका सूचकांक 0.6 से ज्यादा है. दूसरा 0.4-0.6 सूचकांक वाले कम विकसित राज्य. तीसरा 0.4 से कम सूचकांक वाले अपेक्षाकृत विकसित राज्य. हैरत की बात यह है कि छत्तीसगढ़ का नाम कम से कम विकसित राज्यों में आता है.

सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में ओडीसा, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड शामिल हैं.

कम विकसित राज्यों में अरुणाचलप्रदेश, आसाम, मेघालय, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, आंध्रप्रदेश, जम्मूकाश्मीर तथा मिजोरम हैं.

अपेक्षाकृत विकसित राज्यों में गुजरात, त्रिपुरा, कर्नाटक, सिक्किम, हिमाचलप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र तथा पंजाब हैं. जबकि तमिलनाडु और केरल विकसित राज्य हैं.

रघुराम राजन समिति ने केंद्र द्वारा राज्यों को धन देने का जो तरीका सुझाया है वो राज्यों की विकास ज़रूरतों और विकास के क्षेत्र में उनके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. समिति का प्रस्ताव है कि हर राज्य को राज्यों के लिए तय की गई कुल राशि का 0.3 प्रतिशत फिक्स्ड फंड मिलना चाहिए.

इसके अलावा राज्य की ज़रूरत और प्रदर्शन के हिसाब से और धन दिया जाएगा. राज्यों के पिछड़ेपन को तय करने वाला सूचकांक एनएसएसओ की मापी गई प्रति व्यक्ति खपत और ग़रीबी अनुपात जैसे मापदंडों पर आधारित है.

समिति का प्रस्ताव है कि इस सूचकांक पर जिन राज्यों के अंक 0.6 या उससे ज़्यादा हों उन्हें सबसे कम विकसित, 0.6 से कम लेकिन 0.4 से ज़्यादा अंक वाले राज्यों को कम विकसित और 0.4 से कम अंक वाले राज्यों को अपेक्षाकृत अधिक विकसित वर्ग में डाला जाना चाहिए. समिति का मानना है कि विभिन्न राज्यों की धन और विशेष दर्जे की मांग, 0.3 प्रतिशत फ़िक्सड फंड और सबसे कम विकसित राज्यों की श्रेणी में वर्गीकरण के दोहरे सुझाव से पूरी हो जाएगी.

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