नौकरी मांग रहे 60 विस्थापित गिरफ्तार
कोरबा | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के कोरबा पश्चिम में सीएसईबी द्वारा नौकरी नहीं दिये जाने से नाराज 60 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.हालांकि शाम तक गिरफ्तार होने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या 103 तक हो गई थी. बाद में इन प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने अस्थाई जेल से रिहा भी कर दिया. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने रिहा होने से इंकार कर दिया. ये प्रदर्शनकारी राखड़ बांध के लिये ग्राम गोढ़ी की जमीन लेने के बाद भी नौकरी नहीं देने से नाराज थे और 8 अप्रैल से आंदोलन कर रहे थे. गुरुवार को पुलिस और प्रशासन के लोगों ने आश्वासन दिया कि राखड़ बांध बनने के बाद उन्हें नौकरी दी जाएगी लेकिन प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि 4 साल से उन्हें केवल आश्वासन दिया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की पश्चिम विस्तार परियोजना की 500 मेगावाट की इकाई का सफलतापूर्वक सिंक्रोनाईजेशन किया गया है. इस विद्युत संयंत्र के लिये गोपालपुर के समीप ग्राम डिंडौलभाठा में राखड़ डेम निर्माण व पाईप लाईन बिछाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन भू-विस्थापितों को नौकरी नहीं मिलने से आक्रोशित ग्रामीणों ने कुछ दिनों पूर्व सीएसईबी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए राखड़ बांध का काम रोक दिया था और धरने पर बैठ गए थे.
पिछले दो दिनों से क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति निर्मित हो गई थी, जिसे देखते हुए गुरुवार को भारी संख्या में पुलिस जवानों को डिंडौलभाठा में तैनात किया गया था. विरोध कर रहे सैकड़ों भू-विस्थापितों को गिरफ्तार किया गया, जिसके उपरांत सीएसईबी प्रबंधन द्वारा राखड़ बांध का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है. तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर पुलिस अधिकारी मौका स्थल पर जमे हुए हैं.
गुरुवार की सुबह लगभग 6 बजे पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों की एक टीम को ग्राम डिंडौलभाठा में तैनात कर दिया गया. जिला प्रशासन से अतिरिक्त कलेक्टर इफ्फत आरा, कटघोरा एसडीओपी ईमिल लकड़ा, कोरबा सीएसपी सी डी तिर्की, नगर कोतवाल सुरेश धु्रव, दर्री नगर निरीक्षक एम. बी. पटेल, दर्री टीआई एस. आर. सोनवानी, कटघोरा टीआई विवेक शर्मा सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी धरना स्थल पर मौजूद थे.
अतिरिक्त कलेक्टर इफ्फत आरा द्वारा ग्रामीणों को समझाईश दी गई, लेकिन ग्रामीणों का कहना था कि जब तक उन्हें लिखित में नौकरी का आश्वासन नहीं दिया जाएगा, तब तक वे अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे. दोपहर में पुलिस द्वारा भू-विस्थापितों को गिरफ्तार कर कटघोरा थाना लाया गया. गिरफ्तार भू-विस्थापितों में 27 महिलाएं भी शामिल थी. बताया जाता है कि गिरफ्तारी के बाद सीएसईबी प्रबंधन द्वारा पाईप लाईन के निर्माण कार्य में तेजी आई है. किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस जवानों को ग्राम डिंडौलभाठा में तैनात कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि संयंत्र के लिए ग्राम डिंडौलभाठा, पंडरीपारा सहित कुल 6 ग्रामों को राखड़ बांध निर्माण और पाईप लाईन बिछाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था. इसके लिए आसपास के लगभग 6 गांवों के 268 खातेदारों की चार वर्ष पूर्व जमीन अधिग्रहित की गयी थी. जिसमें से पहले चार भूविस्थापितों को नौकरी दी गयी थी. कुछ दिन पूर्व चार अन्य भूविस्थापितों को नौकरी प्रदान की गयी है. लेकिन यहां के सभी ग्रामीणों के लिए रोजगार व पुनर्वास के मसले को लेकर कई भू-विस्थापितों में आक्रोश पनपने लगा था.
विगत दिनों भू-विस्थापितों ने एक राय होकर राखड़ निर्माण के काम को रूकवा दिया और सीएसईबी प्रबंधन के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि जब तक उन्हें नौकरी नहीं दी जाएगी, तब तक इस राखड़ बांध का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा.
सीएसईबी के वरिष्ठ अफसरों ने मामले को सुलझाने के लिए विगत दिनों राखड़ बांध से प्रभावित होने वाले ऐसे 27 पात्र भू-विस्थापितों को 15 अप्रैल तक रोजगार व भत्ते के लिए आवेदन जमा करने की सूचना जारी की थी, लेकिन भू-विस्थापितों ने आवेदन जमा करने के प्रति बिल्कुल रूचि नहीं दिखाई और ग्रामीण बांध के समीप धरने पर बैठे रहे. सीएसईबी के अधिकारी पिछले दो दिनों से मामले को सुलझाने के लिए भू-विस्थापितों से चर्चा करते रहे, लेकिन उनकी एक न चली. उसके बाद पुलिस प्रशासन ने जन आंदोलन को कुचलने के लिये गिरफ्तारी का सहारा लिया.