छत्तीसगढ़

आत्महत्या: वन विभाग में कार्यवाही

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ जागेश्वर कंवर के आत्महत्या के बाद वन विभाग में रविवार को कार्यवाही की गई है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के हस्तक्षेप के बाद कोरबा के डीएफओ जे.आर. नायक और एसडीओ वन आर.के. दुबे को तत्काल प्रभाव से राजधानी रायपुर स्थित प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में संलग्न कर दिया गया है. इसी के साथ कठोर कदम उठाते हुए मामले में कोरबा के रेंजर सी.आर. नेताम को विरूद्ध को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

बिलासपुर संभाग के कमिश्नर सोनमणि बोरा को इस मामले की सूक्ष्मता से जांच करने के निर्देश दिये गये हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि प्रकरण में अगर कोरबा कलेक्टर के स्तर पर भी किसी प्रकार की लापरवाही मिलेगी तो कलेक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि किसानों से जुड़े ऐसे संवेदनशील मामलों में किसी भी स्तर के अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

उल्लेखनीय है कि कोरबा कलेक्टर की रिपोर्ट में बताया गया है कि रेंजर सी.आर. नेताम ने पर्याप्त आवंटन होने के बावजूद संबंधित किसान को जंगली हाथियों के कारण फसल को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति भुगतान करने में अत्यधिक विलंब किया गया है. पूर्व में भी नेताम को समय-समय पर प्रशासन द्वारा कड़े निर्देश दिए जा चुके थे, लेकिन उन्होंने क्षतिपूर्ति मुआवजा का जांच प्रतिवेदन समय पर प्रस्तुत नहीं किया.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कोरबा में मुआवजा नहीं मिलने से दुखी किसान ने आत्महत्या कर ली थी. कोरबा के बुंदेली गांव के 37 साल के जागेश्वर सिंह नामक एक किसान पर ढाई लाख रुपये का कर्ज था और वह उसे चुका नहीं पा रहा था.

जागेश्वर के परिजनों का कहना है कि जागेश्वर ने पिछले साल 9 एकड़ ज़मीन पर धान की फसल लगाई थी. धान लगाने और खाद के लिये उसने ढाई लाख रुपये का कर्जा लिया था. लेकिन जंगली हाथियों ने नंवबर में तैयार फसल कुचल दी थी. रही सही फसल बाद में फिर से हाथियों ने रौंद दी थी.

इसके बाद से पीड़ित किसान फसल के मुआवजे के लिये वन विभाग के दफ्तर के चक्कर लगा रहा था. लेकिन वन विभाग ने उसे फसल का मुआवजा नहीं दिया. फसल खराब होने और कर्ज की रकम लौटा नहीं पाने के कारण जागेश्वर परेशान था. इसके बाद उसने गुरुवार की रात ज़हर खा कर अपनी जान दे दी थी.

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