2003 पीएससी में नई मेरिट लिस्ट
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पीएससी 2003 की परीक्षा में फिर से मेरिट लिस्ट तैयार करने के लिये कहा है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की एकल पीठ ने इस ऐतिहासिक फैसले में सरकार को कहा है कि वह मानव विज्ञान का यार्ड स्टिक आधार पर नये सिरे से उत्तर पुस्तिका की जांच करे. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जो नए मेरिट लिस्ट के आधार पर चयनित नहीं होंगे उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा.
अदालत ने इस पूरी प्रक्रिया के लिये 31 अक्टूबर तक की समय सीमा निर्धारित की है. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद राज्य में पिछले 13 सालों से नौकरी कर रहे कई डिप्टी कलेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक नौकरी से बाहर हो सकते हैं या उन्हें निचले स्तर के किसी पद पर पदावनत किया जा सकता है. ऐसे लोगों की संख्या 73 के आसपास है. शुक्रवार को जब इस मामले में अदालत का फैसला आया तो इससे प्रभावित होने की आशंका से ग्रस्त कई अफसर हाईकोर्ट में उपस्थित थे और उनकी हालत देखने लायक थी. दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं और उनके साथी फैसले से बेहद उत्साहित थे.
2003 में हुई पीएससी की परीक्षा को लेकर वर्षा डोंगरे ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी कि परीक्षा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में रविंद्र सिंह और चमन सिंहा ने भी याचिका दायर की थी. इस मामले में शुरुआती बहसों के बाद याचिकाकर्ताओं ने खुद ही इस मामले में बहस और पैरवी की थी. कई सालों तक चली सुनवाई के बाद आज अदालत ने फैसला सुनाते हुये वर्षा डोंगरे को 5 लाख रुपये और शेष दो याचिकाकर्ताओं को 2-2 लाख रुपये की मुआवजा राशि भी देने के भी आदेश दिये हैं.
छत्तीसगढ़ में पीएससी भ्रष्टाचार का गढ़ बना रहा है. मनमाने तरीके से सवाल और कापियों में गड़बडी के मामले लगातार उजागर होते रहे हैं. आयोग के सदस्य और अध्यक्ष तक पैसे की बात करते कैमरों में कैद हुये हैं लेकिन राज्य सरकार ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की. हालत ये हुई है कि राज्य सरकार ने तमाम तरह की गड़बड़ी करने वालों को हमेशा बचाने की ही कोशिश की है. ताज़ा मामले में फैसला आने के बाद फिलहाल राज्य सरकार के अधिकारी कुछ भी बोलने बताने से बच रहे हैं और अदालत के आदेश की कापी आने का हवाला दे रहे हैं.