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शराबबंदी पर याचिका खारिज

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर लगाई गई जनहित याचिका बिलासपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.

इस याचिका में छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा शराब बेचने को लेकर चुनौती दी गई थी और कहा गया था कि यह संविधान के खिलाफ है. रायपुर की ममता शर्मा समेत कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लगाई गई इस याचिका में कहा गया था कि किसी सरकार का काम मादक पदार्थ पर नियंत्रण करना है. इसके उलट मादक पदार्थों को बढ़ावा देना सरकार का काम नहीं है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार का खुद शराब बेचना या उसे बढ़ावा देना संविधान के अनुच्छेद 47 का उल्लंघन है.

इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी की गई थी और बहस पूरी होने के बाद शुक्रवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सतीश वर्मा के अनुसार-“हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा शराब बेचने को सरकार का नीतिगत मामला बताते हुये कहा कि हाईकोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इस नीतिगत निर्णय को आधार बनाते हुये याचिका खारिज की गई.”

अधिवक्ता सतीश वर्मा ने कहा कि वे फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हैं और अगर याचिकाकर्ता चाहेंगे तो इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की जायेगी.

छत्तीसगढ़ सरकार को शराब से 33 अरब रुपये का राजस्व मिलता है. पिछले साल याने 2015-16 में शराब की दुकान तथा बार के लाइसेंस से 33 अरब 37 करोड़ 26 लाख 27 हजार 3 सौ 20 रुपये का राजस्व मिला था. इसी तरह से चालू साल में जनवरी 2017 तक सरकार को शराब दुकान तथा बार से 28 अरब 77 करोड़ 98 लाख 92 हजार 084 रुपये का राजस्व मिला है. पिछले साल छत्तीसगढ़ के लोगों ने 12 करोड़ प्रूफ लीटर शराब पी थी इस साल जनवरी तक 10.50 करोड़ प्रूफ लीटर शराब पी जा चुकी है.

इस रकम के महत्व का अंदाज छत्तीसगढ़ सरकार के 2015-16 के बजट पर एक नज़र डालने से पता चल जाता है. उस साल बजट में अधोसंरचना के विकास पर सर्वाधिक 11 हजार करोड़ का प्रावधान था. खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु लगभग 5 हजार करोड़ का प्रावधान था. कृषि बजट के लिए 10 हजार 700 करोड़ आबंटित था. युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिये कौशल उन्नयन कार्यक्रमों के लिये 735 करोड़ रुपये का प्रावधान था.

इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान के लिये 300 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये 700 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना के लिये 250 करोड़ रुपये तथा मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के लिये 600 करोड़ रुपयों का प्रावधान था.

छत्तीसगढ़ सरकार को पिछले साल शराब से सबसे ज्यादा राजस्व रायपुर से 8 अरब रुपये का, दुर्ग से 4.19 अरब रुपये, बिलासपुर से 2.87 अरब रुपये, जांजगीर-चांपा से 2 अरब रुपये का तथा रायगढ़ से 1.67 अरब का मिला था.

छत्तीसगढ़ में हाइवे पर कुल 417 दुकानें हैं जिन्हें हटाया जाना है. इनमें से हाईवे पर सबसे ज्यादा दुकाने दुर्ग में 41 शराब की दुकान, जांजगीर-चांपा में 38, बिलासपुर में 36, रायपुर में 35 शराब की दुकान, रायगढ़ में 26, बलौदाबाजार में 25 हैं.

अब तक निजी ठेकेदार इन दुकानों का संचालन करते आये हैं परन्तु हाईवे से हटा दिये जाने के कारण वे इन्हें चलाने के इच्छुक नहीं हैं. अब इन दुकानों से जो घाटा होगा, उसे पूरा करने के लिए ही कार्पोरेशन का गठन किया गया है और सरकार ने एक अप्रैल से खुद ही शराब बेचने का निर्णय लिया है.

एक दिन पहले ही विधानसभा में आबकारी संशोधन विधेयक पारित किया गया है. इसके लिये विरोध में 35 मत पड़े जबकि सरकार के इस विधेयक के पक्ष में 55 मत पड़े.

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