छत्तीसगढ़बिलासपुर

बीपीएल ज़मीन खरीदी में रिपोर्ट मांगी

बिलासपुर | संवाददाता: रायगढ़ के पुसौर में बीपीएल आदिवासियों द्वारा करोड़ों की जमीन खरीदी के फर्जीवाडे पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राजस्व सचिव से दो महीने में रिपोर्ट मांगी है. पत्रकार आलोक प्रकाश पुतुल और सामाजिक कार्यकर्ता विनोद व्यास की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है. इस पावर प्लांट के साथ पिछले साल ही अडानी पावर लिमिटेड ने करार की बात की थी लेकिन मामला हाईकोर्ट के कारण अभी तक अटका हुआ है. इधर याचिकाकर्ता के वकीन ने कहा कि पूरा मामला 170 ख से जुड़ा हुआ है और हमें यकीन है कि आदिवासियों से फर्जी तरीके से खरीदी गई जमीन कंपनी को वापस आदिवासियों के हाथ में सौंपना ही होगा.

रायगढ़ के पुसौर में उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाली अवंथा ग्रुप की सहयोगी संस्था कोरबा वेस्ट पावर कंपनी लिमिटेड पर आरोप है कि कंपनी ने 600-600 मेगावाट के पॉवर प्लांट के लिये पुसौर ब्लाक के ग्राम बड़े भंडार, छोटे भंडार, सरवानी और अमलीभौना में प्रस्तावित फर्जी तरीके से बीपीएल आदिवासियों के नाम पर जमीन खरीदी.

दो साल पहले दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि 600-600 मेगावाट के 5826 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पॉवर प्लांट के लिये कंपनी को 885.12 एकड़ जमीन की जरुरत थी. छत्तीसगढ़ की भू-राजस्व संहिता की धारा 170 ख के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र एवं अनुसूचित जनजातियों की भूमि को गैर आदिवासी द्वारा अंतरण नहीं किया जा सकता. ऐसे में कोरबा वेस्ट पावर लिमिटेड ने इसके लिये सरकारी अधिकारियों की मदद से पहले जमीनों का चिन्हांकन करवाया और फिर आदिवासियों की जमीन खरीदने के लिये 300 किलोमीटर दूर रायपुर जिले के अभनपुर के परसदा गांव के आदिवासियों को मोहरा बनाया याचिका में कहा गया है कि इस गांव के आठ आदिवासियों ने अपने नाम से 100 आदिवासियों की जमीनें खरीदीं.

रायगढ़ जिले के पुसौर के सौ से अधिक आदिवासियों की करोड़ों रुपये की जमीन खरीदने वाले रायपुर के अभनपुर के इन आठ आदिवासियों में से सभी का नाम रोजगार गारंटी योजना में दर्ज है और इनका परिवार रोजगार गारंटी योजना में मजदूरी भी करता रहा है. दस्सतावेज़ों के अनुसार सभी आदिवासी बीपीएल कार्डधारी हैं. लेकिन इन बीपीएल कार्डधारियों के नाम पर महीने भर के भीतर 10 करोड़ 26 लाख 66 हजार 427 रुपये की ज़मीन खरीदी गयी.

इस जनहित याचिका में कहा गया है कि फर्जी तरीके से आदिवासियों की ज़मीन खरीदी गई, जिससे उन्हें न तो विधिसम्मत मुआवजा मिला और ना ही नियमानुसार नौकरी और दूसरी विस्थापन संबंधी सुविधायें ही मिली. फर्जी तरीके से ज़मीन खरीदे जाने के मामले में पुसौर के आदिवासियों ने राज्य के सभी आला अधिकारियों से लिखित गुहार लगाई लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई.

याचिकाकर्ता आलोक प्रकाश पुतुल ने बताया कि उन्होंने इस फर्जीवाड़े को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्टिंग की. इसके बाद आदिवासी लगातार उनके पास इस समस्या में मदद मांगने आते रहे. जब कहीं से इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने नैतिक दायित्व निभाते हुये इस मामले में अधिवक्ता रजनी सोरेन और किशोर नारायण के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है.

error: Content is protected !!