छत्तीसगढ़

BSP में गैस रिसाव, 6 गंभीर

भिलाई | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में शुक्रवार को फिर गैस का रिसाव हो गया. गैस की चपेट में आने से एक जूनियर मैनेजर सहित अन्य 6 कर्मचारियों की हालत बिगड़ गई, जिन्हें संयंत्र के सेक्टर-9 अस्पताल में दाखिल कराया गया है.

संयंत्र के पावर इंजीनियरिंग एंड मेंटेनेंस विभाग के जूनियर मैनेजर दिलीप कुमार सहित 6 कर्मचारी शुक्रवार सुबह मेंटेनेंस कार्य के लिए एसएमएस-2 गए हुए थे. इसी दौरान गैस का रिसाव होने लगा. अचानक हुए गैस रिसाव से विभाग में हड़कंप मच गया.

जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक जूनियर मैनेजर दिलीप कुमार सहित अन्य कर्मचारी तीरथराम, चंद्रकांतवर्मा, हेमंत, प्रेमशंकर व एस.के.साहू की सांसों के साथ खतरनाक गैसमउनके फेफड़ों में चला गया. आनन-फानन में सभी को सेक्टर-9 अस्पताल ले जाया गया, जहां तीरथराम, एस.के.साहू और प्रेमशंकर को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करना पड़ा. तीनों की हालत नाजुक बनी हुई है.

जूनियर मैनेजर दिलीप कुमार, चंद्रकांत वर्मा, हेमंत व प्रेमशंकर को पहले तो प्राथमिक उपचार के लिए प्लांट के भीतर ही मेन मेडिकल पोस्ट ले जाया गया, लेकिन तबीयत बिगड़ती देख उन्हें भी सेक्टर-9 अस्पताल में रेफर करना पड़ा.

घटना की जानकारी मिलते ही संयंत्र के अधिकारियों ने स्थिति की समीक्षा की है, वहीं यूनियन सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष पूरन वर्मा, महासचिव डीवीएस रेड्डी, अजय सोनी, सुरेंद्र उपाध्याय, एम.एल. शर्मा व सिराजुद्दीन सहित अनेक पदाधिकारी व श्रमिक घटना स्थल से लेकर मेन मेडिकल पोस्ट पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की. वे सेक्टर-9 अस्पताल भी पहुंचे.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 12 जून 2014 को भी भिलाई इस्पात संयंत्र में जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी. उस हादसे में बीमार 40 से ज़्यादा लोगों का अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. संयंत्र की फर्नेस एक और दो में पाइपलाइन फटी थी, जिसके बाद यह हादसा हुआ और संयंत्र में तेज़ी से मीथेन कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस का रिसाव हुआ था.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगा भिलाई इस्पात संयंत्र 1955 में तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया गया था.

यह संयंत्र दूसरी इस्पात सामग्रियों के अलावा देश में 260 मीटर की रेल की सबसे लंबी पटरियों की एकमात्र निर्माता-निर्यातक है. भिलाई इस्पात संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 31 लाख 53 हजार टन है.

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