छत्तीसगढ़: कन्या कल्याण के नाम पर ठगी
कोरबा | अब्दुल असलम: छत्तीसगढ़ में कन्या कल्याण के नाम पर लाखों की ठगी का मामला सामने आया है. कोरबा के पाली क्षेत्र में कन्या भ्रूण हत्या रोकने, कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने सहित कन्या कल्याण के नाम पर ग्रामीणों से लाखों रुपए की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों को लाखों का चूना लगाने के बाद एनजीओ फरार हो गया है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत दर्ज कराई है.
जानकारी के अनुसार पाली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम डूमरकछार में कन्या कल्याण वेलफेयर सोसायटी नामक एनजीओ ने ग्रामीणों से बालिकाओं के भविष्य को सुधारने हेतु पैसे जमा कराया था. ग्रामीणों ने बताया कि संस्था विगत तीन वर्षों से पाली क्षेत्र में संचालित हो रही थी जो प्रत्येक वर्ष कन्या कल्याण के नाम पर 520 रुपए जमा करा रही थी. यह संस्था शिक्षा प्रोत्साहन के लिए 1500 रुपए, छात्रवृत्ति व बालिका के बालिग होने पर विवाह के लिए 1500 रुपए जमा करा कर 50 हजार रुपए देने का वादा कर रही थी. पूरे क्षेत्र में एनजीओ के दर्जनों एजेंट घूम-घूमकर सैकड़ों ग्रामीणों को इस योजना से जोड़ चुके थे. एक वर्ष बाद जब एनजीओ में पैसा जमा करने वालों ने छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं के तहत मिलने वाली रकम की मांग की, जिस पर एनजीओ ने गंभीरता नहीं दिखाई. एजेंटों पर दबाव भी बनाया गया. दो साल बाद भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया, तब से लेकर अब तक ग्रामीण अपने पैसों के लिए भटक रहे हैं. एजेंटों से जब चर्चा करना चाहा तो उनका मोबाईल बंद मिला. बिलासपुर मुख्यालय में भी उनका कोई पदाधिकारी मौजूद नहीं है. ग्रामीण महिलाओं ने स्थानीय एजेंट श्रवण गोंड़ के खिलाफ नामजद रिपोर्ट कराई है. महिलाओं ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर रकम वापस दिलाने की मांग की है.
योजना के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी
कन्या कल्याण वेलफेयर सोसायटी के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के जिला सचिव धनेश पांडेय ने पाली थाना प्रभारी को पूरे मामले से पूर्व में अवगत करा कर सभी दस्तावेजों की जांच की मांग की थी. धनेश पांडेय ने बताया कि इस संस्था का मुख्य संचालक राजेश सिंह है जो बिहार निवासी है. इस क्षेत्र में आकर भोले भाले ग्रामीणों को ठगे जाने की शिकायत के बाद भी पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया. इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में कन्या कल्याण योजना के नाम पर ठगी का खेल चल रहा है. लोग एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं को शासकीय योजना समझ कर उसमें पैसा जमा कर देते हैं लेकिन पैसा लेने के बाद एनजीओ फरार हो जाते हैं. जिले में ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं.