खाद्य विभाग छुपाता है सब्जियों के दाम
रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ में कोई भी सब्जी 30 रुपये किलो से कम में नहीं मिल रही है. छत्तीसगढ़ सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में रोजाना आलू, टमाटर, प्याज, लहसुन के साथ केवल चार सब्जियों के ही दाम होते हैं. इसमें बैगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, लौकी शामिल हैं, जबकि बाजार में 10 से 12 तरह की सब्जियां मिल रही हैं. उनका भाव सरकार तक पहुंच ही नहीं रहा है.
सब्जी के दाम पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी सरकार की है. इसमें खाद्य विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन यहां खाद्य विभाग सब्जी के दाम और बिचौलियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम ही नहीं उठा रहा है. छत्तीसगढ़ के हालत तो यह है कि खाद्य विभाग सरकार तक खुदरा बाजार का असली भाव ही नहीं पहुंचने दे रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार को भेजे जाने वाले सब्जी के भाव की तुलना राजधानी के बाजार से खुदा भाव से करने पर पता चला कि हर सब्जी का दाम खाद्य विभाग रोजाना घटाकर रिपोर्ट भेज रहा है. केवल आलू-प्याज का दाम ही सही जा रहा है.
छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार भी इस साल होने वाले निकाय चुनावों को लेकर महंगाई से चिंतित दिख रही है. रायपुर के कलेक्टर ठाकुर राम सिंह मानते हैं कि अत्यधिक बारिश के कारण आपूर्ति प्रभावित हुई थी, लेकिन अब स्थिति सामान्य हो रही है. उन्होंने कहा कि सब्जी के दाम कम होने के आसार हैं.
किसान मजदूर संघ संयोजक ललित चंद्रनाहु का कहना है कि सब्जी के दाम कम करने के लिए सरकार को एक व्यवस्था बनानी चाहिए. सब्जी के परिवहन से लेकर उसके स्टोरेज और बिक्री तक की व्यवस्था बने. बाहर से कम से कम सब्जी मंगानी पड़े, इसके लिए प्रदेश में किसानों की दिक्कतें दूर कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाए.
उन्होंने कहा कि खुदरा कारोबारियों को कारोबार बढ़ाने के लिए ऋण दिया जाए और सब्जियों को सड़ने-गलने से बचाव के प्रयास हों.
बताया जाता है कि सूबे के 40 फीसदी गांवों में सब्जी का उत्पादन बंदरों के उत्पात के कारण बंद हो गया है. तीन-चार साल पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से किसान मजदूर संघ ने इसकी शिकायत की थी. तब वन विभाग ने केवल यह सुझाव दिया था कि बंदरों को भगाने के लिए पटाखा फोड़ें. फिर भी न बंदर भागे और न ही उनका उत्पात बंद हुआ. किसानों को ही उत्पादन बंद करना पड़ा. इसका असर सब्जियों के भावों पर स्वाभाविक रूप से दिख रहा है.
खुदरा में लोकल खरीदी हो या फिर बाहर से सब्जी आए, लगभग 25 फीसदी सड़-गल जाती है. इस कारण खुदरा कारोबारी थोक से 25 फीसदी तक भाव बढ़ाकर बेचता है. 2007 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक उदय मुदलियार ने सब्जी मंडी में कोल्ड स्टोरेज बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन वह पारित नहीं हो पाया.
वहीं दूसरी तरफ खुदरा कारोबारियों तक सब्जी पहुंचाने की कोई प्रणाली नहीं है. बिचौलिए सब्जी पहुंचाते हैं तो वे अपना कमीशन बना लेते हैं. खुदरा कारोबारी उधारी में सब्जी उठाते हैं तो थोक कारोबारी कुछ बढ़ाकर भाव लगाते हैं. बाहर से आने वाली सब्जी थोक कारोबारी सिंडीकेट बनाकर काफी कम दाम में खरीद लेते हैं. इससे बाहर के किसानों को नुकसान होता है. दूसरी तरफ खुदरा कारोबारियों को दो-तीन गुना दाम बढ़ाकर बेचते हैं.