छत्तीसगढ़

किसान 10444 में साल भर गुजारा करें

रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के किसानों को 10 हजार 4 सौ 44 रुपये में साल भर गुजारा करना पड़ेगा. वह भी अपने परिवार सहित! जी हां, छत्तीसगढ़ के किसानों को खरीफ की फसल खराब हो जाने पर बीमा कंपनी की तरफ से औसतन इतना ही मुआवजा मिला है. जाहिर है कि जब फसल खराब हो गई है, कमाई का कोई और जरिया नहीं है तो 10,444 रुपये में ही तो गुजारा करना पड़ेगा.

बात एक-दो नहीं 6 लाख 66 हजार 405 किसानों की हो रही है. दरअसल, साल 2015-16 के खरीफ फसल हेतु छत्तीसगढ़ के पात्र किसानों को 6 अरब 96 करोड़ 04 लाख 71 हजार 5 सौ 93 रुपयों का भुगतान किया गया है. यह पूरे छत्तीसगढ़ का औसत है.

जबकि जमीनी तौर पर बालोद के 73,507 किसानों को 9,909 रुपये, बलौदा बाजार के 10,471 किसानों को 4,023 रुपये, बस्तर के 11,001 किसानों को 13,891 रुपये, बिलासपुर के 24,617 किसानों को 6,605 रुपये, मुंगेली के 7,416 किसानों को 4.361 रुपये, रायपुर के 9,403 किसानों को 5,436 रुपये औसतन मिले हैं.

छत्तीसगढ़ में फसल बीमा के लिये प्रति किसान 1,163 रुपये का प्रीमियम पटाया गया. जिसमें से 6,66,405 किसानों ने मिलकर 69,16,01,248 रुपये पटाया. इस तरह से औसतन प्रति किसान ने 1,037 रुपये प्रीमियम पटाया है.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में औसतन प्रति एकड़ में अधिकतम 15 क्विंटल धान होती है. वर्तमान में प्रति क्विंटल धान पर 1470 रुपये मिलता है. इस तरह से प्रति एकड़ किसान को करीब 22,050 रुपये मिल जाते हैं. जबकि किसान को एक एकड़ में धान के बीज, खाद, जोताई, बिजली मिलाकर 18 से 20 हजार रुपये की लागत आती है.

यदि किसान को फसल बीमा के तहत फसल खराब होने पर औसतन 10 हजार रुपये मुआवजे के रूप में मिलते हैं तो इससे उसकी पूरी लागत ही नहीं निकलती है. गौर करने वाली बात यह है कि लागत का अनुमान प्रति एकड़ का है जबकि 10 हजार रुपया कुल मुआवजा मिला है. इस तरह से मुआवजा तो आधी लागत का मिला, बाकी आधी लागत के लिये किसान कर्जदार रह ही जाता है. वह भी यदि किसान की जमीन मात्र 1 एकड़ हो तो अन्यथा उसे ‘जोर का झटका जोर से ही लगेगा’.

अब मिले 10 हजार रुपये में से किसान परिवार चलाये या पलायन करें. कर्ज पटाये या आत्महत्या करे. इसलिये छत्तीसगढ़ के किसान यदि आत्महत्या करते हैं तो उसके नेपथ्य में नीतियां के कारण उत्पन्न हालात होते हैं. अन्यथा कौन समय से पहले दुनिया छोड़कर जाना चाहता है. क्या फसल बीमा के मुआवजे की राशि पर्याप्त है? सवाल उनसे है जो नीतियां तय करते हैं.

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