बस्तर फिर बनेगा सत्ता की चाबी?
जगदलपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी बस्तर से निकलती है,यह बात पिछले चुनाव में ग़लत साबित हो चुकी है. लेकिन विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सबकी नज़रें बस्तर पर टिकी हुई है.
कम से कम कांग्रेस पार्टी तो यही चाह रही है कि सत्ता की चाबी बस्तर से निकलने का मिथक सच साबित हो जाये.
जमीनी हालात भी बता रहे हैं कि इस बार बस्तर में भाजपा बेहद बुरे दौर से गुजर रही है और पार्टी के मंत्री तक बुरी तरह से हारने की स्थिति में पहुंच गये हैं.
पिछले चुनाव में बस्तर की 12 में से 8 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था लेकिन सरकार बनाने में इस इलाके की कोई भूमिका नहीं रही. सत्ता की चाबी का मिथक टूट गया.
बस्तर में अलग-अलग इलाकों से आने वाली ख़बरों पर यकीन करें तो इस बार कांग्रेस पार्टी को कुछ सीटों पर लाभ होने की संभावना जताई जा रही है.
अति उत्साही विश्लेषक तो यह भी मान कर चल रहे हैं कि इस बार 9-3 ही नहीं, आंकड़ा 11-1 भी हो सकता है.
ऐसा हुआ तो सत्ता की चाबी सच में इस बार बस्तर से ही निकल सकती है.
मंत्री भी हारेंगे
इस तरह का दावा करने वाले दोनों मंत्रियों महेश गागड़ा और केदार कश्यप तक के हार जाने का दावा कर रहे हैं और जमीनी हकीकत भी ऐसी ही है.
लेकिन इन जमीनी दावे पर भरोसा न करें तो भी यह बात तो तय है कि बस्तर में इस बार कांग्रेस को कोई नुकसान होने से रहा.
छत्तीसगढ़ में विधानसभा के पहले चुनाव में 2003 में बस्तर की 12 में से 9 विधानसभा सीटें भाजपा को मिली थीं और कांग्रेस को महज 3 सीटें हासिल हुई थी.
2008 में कांग्रेस पार्टी और बुरे दौर में पहुंच गई, जहां 11 सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया और केवल एक सीट से कांग्रेस पार्टी को संतोष करना पड़ा.
2013 के चुनाव में हालात बदले और भाजपा 4 सीटों में सिमट कर रह गई.
इस चुनाव में कांग्रेस ने शानदार वापसी की और कांग्रेस के 8 उम्मीदवार विधानसभा में पहुंचे.