छत्तीसगढ़ कांग्रेस आक्रामक मूड में
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ कांग्रेस आक्रमक मूड में आ गई है. रमन सरकार को घेरने के लिये कांग्रेस राज्य में पुलिस कस्टडी में हुई दलित युवक की मौत तथा बस्तर में स्कूली छात्रों के कथित एनकाउंटर राष्ट्रपति भवन तक ले जाने की तैयारी में है. कांग्रेस के सूत्रों की माने तो इऩ दोनों मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी है. हाल ही में छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने मुलमुला थाने में दलित की मौत पर बंद कराया था तथा बस्तर में स्कूली छात्रों के एनकाउंटर पर जांच समिति का गठन कर उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की थी.
जांजगीर-चांपा जिले के मुलमुला में पुलिस कस्टडी में पिटाई से दलित युवक सतीश नोर्गे की मौत तथा हाल ही में बस्तर में दो स्कूली छात्रों की कथित तौर पर पुलिस द्वारा नक्सली कहकर गोली मार देने की घटना से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मुद्दा मिल गया है. अब दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद इस पर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी है.
सूत्रों के अनुसार इन मुद्दों की जानकारी राष्ट्रीय नेताओँ को दे दी गई है. इन मुद्दों पर राज्य में दलितों तथा आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर कांग्रेस इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाना चाहती है ताकि रमन सरकार के साथ ही मोदी सरकार को भई घेरा जा सके.
छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी नेता इन मुद्दों को राष्ट्रपति भवन तक ले जाने की तैयारी कर रहें हैं. खबरों के अनुसार कांग्रेस छत्तीसगढ़ में ‘जंगल सत्याग्रह’ की योजना बना रही है.
क्या कहते हैं आकड़े-
दलित अत्याचार
छत्तीसगढ़ दलितों पर अत्याचार के मामले में आगे है. नेशनल क्राइम रिसर्च ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति एक लाख दलित आबादी के खिलाफ अपराध की राष्ट्रीय दर 22.3 है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 31.4 है. देशभर में दलितों के खिलाफ आगजनी के कुल 179 मामले 2015 में दर्ज किये गये और छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा सबसे उपर है. राष्ट्रीय दर के हिसाब से देखें तो यह 0.1 है. लेकिन छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 43 और दर कहीं अधिक 0.3 है.
आदिवासियों पर अत्याचार
छत्तीसगढ़ में हर दिन चार आदिवासी अत्याचार के शिकार होते हैं. आदिवासियों के खिलाफ होने वाले अत्याचार में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे नंबर पर है और आदिवासियों के खिलाफ अपराध की दर छत्तीसगढ़ में 19.4 है. राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 10.5 है. 2015 के यह आंकड़े एनसीआरबी की ताज़ा रिपोर्ट में सामने आये हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार आदिवासियों के खिलाफ बलात्कार के मामले में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे नंबर पर है, जबकि पहले नंबर पर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश है. 2015 में आदिवासियों पर बलात्कार के 952 मामले दर्ज किये गये, जिनमें मध्य प्रदेश में 359, छत्तीसगढ़ में 138, महाराष्ट्र में 99, ओडिशा में 94, राजस्थान में 80, केरल में 47, तेलंगाना और गुजरात में 44, तथा आन्ध्र प्रदेश में 21 बलात्कार के मामले शामिल हैं.
लेकिन अपराध और कानून के जानकारों का कहना है कि ये वो आंकड़े हैं, जो थाने और कोर्ट-कचहरियों तक पहुंच पाते हैं. लेकिन पांच गुणा से कहीं अधिक मामले दूर गांव और जंगलों में ही दफन हो कर रह जाते हैं. कई बार तो प्रभावशाली लोगों की पहुंच और ताकत के कारण शहरी क्षेत्रों में भी आदिवासियों के खिलाफ होने वाले अपराध कहीं रिकार्ड में दर्ज ही नहीं होते.