किसान-आदिवासी नोट कहां जमा करें
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने पूछा है कि किसान अपने पुराने नोट कहा जमा करे? छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कहना है कि 14 नवंबर को रिजर्व बैंक की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सहकारी बैंकों में न तो पुराने नोटों की अदला बदली होगी और न ही पुराने नोट जमा किये जा सकेंगे. ऐसे में कांग्रेस का सवाल है कि किसान अपने पुराने नोट कहा पर जमा करें क्योंकि अधिकांश किसानों का और किसी बैंक में खाता ही नहीं है और वे अपना सारा लेनदेन इन्हीं बैंकों के जरिये करते हैं.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते हुये कहा कि है कि ऐसे में किसान के पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं होगा कि वे अवैध रूप में मुद्रा परिवर्तन करने वाले दलालों के चक्कर में पड़ जायें और अपना आर्थिक नुकसान करें. पार्टी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को वस्तुस्थिति से तुरंत केंद्र सरकार को अवगत करवायें और रिजर्व बैंक का यह आदेश वापस लेने का अनुरोध करें.
दूसरी ओर, बस्तर और सरगुजा दोनों आदिवासी इलाकों के सुदूर अंचल में रहने वाले ग्रामीण अलग ढंग से परेशान हो रहे हैं. कांग्रेस ने कहा है कि चूंकि वे मुख्यधारा में नहीं है, उन्हें धीरे धीरे इस बात की जानकारी हो रही है कि पुराने नोटों को सरकार ने बंद कर दिया है और अब उनके पास कोई जरिया नहीं है कि वे इन नोटों को बदल लें. या तो उन्हें मीलों चलकर किसी बैंक की शाखा तक पहुंचना होगा जिससे कि वे अपने पास रखे थोड़े बहुत रुपयों को बदल लें या फिर उसे अनुपयोगी हो जाने दें.
बहुत से आदिवासियों के पास अभी भी कोई पहचान पत्र भी नहीं है. ऐसे में वे बैंक पहुंच भी जायें तो अपना रुपया नहीं बदल सकते. अधिकांश आदिवासियों को बैंक में कोई खाता भी नहीं जिसमें वे अपना पैसा जमा करवा सकें. इसलिये सरकार को आदिवासी इलाकों में कोई विशेष व्यवस्था करनी चाहिये जिससे कि वे ग्राम पंचायत के स्तर पर ही अपने नोट बदलवा सकें.
कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने कहा है कि उनके इलाकों में आदिवासियों के नोट बदलने के नाम पर ठगी का धंधा शुरु हो चुका है. उन्होंने कहा है कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे आदिवासियों को बिचैलियों और दलालों से बचायें और उनके पुराने नोटों का पूरा मूल्य दिलवायें.
कांग्रेस ने कहा है कि ऐसे समय में सरकार को संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि आदिवासियों की जमापूंजी को सरकारी नुमाइंदे नक्सलियों के पैसे के रूप में न देखें. अगर किसी आदिवासी के पास बहुत बड़ी रकम नहीं है तो उसे उसकी जमापूंजी के रूप में ही देखा जाना चाहिये. कांग्रेस ने कहा है कि फिलहाल राज्य सरकार को अपना यह नजरिया बदल लेना चाहिये कि हर आदिवासी नक्सली है.