नोदबंदी के कारण बीएसपी घाटे में
भिलाई | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ की शान बीएसपी पर नोटबंदी ने करारी चोट की है. नोटबंदी तथा उससे पैदा हुई मंदी के कारण करीब 28 साल बाद भिलाई इस्पात संयंत्र घाटे में रहा है. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भिलाई इस्पात संयंत्र को 91 करोड़ रुपयों का घाटा हुआ है. इस दौरान स्टील अथारिटी इंडिया लिमिटेड को 794 करोड़ रुपयों का घाटा हुआ है. नई दिल्ली में गुरुवार को सेल बोर्ड की बैठक में इसकी जानकारी डायरेक्टर फाइनेंस अनिल कुमार चौधरी ने दिया.
स्टील अथारिटी इंडिया लिमिटेड के अंतर्गत इस्को इस्पात संयंत्र पश्चिम बंगाल, एलॉय इस्पात संयंत्र पश्चिम बंगाल, सेलम इस्पात संयंत्र तमिलानाडु, विश्वेश्वरैया लोहा एवं इस्पात संयंत्र कर्नाटक तथा चंद्रपुर फेरो एलॉय संयंत्र महाराष्ट्र, भिलाई इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ, दुर्गापुर इस्पात संयंत्र पश्चिम बंगाल, राउरकेला इस्पात संयंत्र ओडिशा, बोकारो इस्पात संयंत्र झारखंड तथा सेल रिफ्रेक्टरी यूनिट झारखंड आते हैं. इनमें से एकमात्र बोकारो इस्पात संयंत्र में 8.97 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है.
गौरतलब है कि नोटबंदी के कारण हुई नगदी की कमी ने अपने चपेटे में इस्पात उद्योग को भी ले लिया था. बता दें कि नोटबंदी के 22 दिनों के भीतर ही छत्तीसगढ़ का लोहा बाजार 60 फीसदी तक गिर गया था. यहां तक की नगदी की कमी के कराण परिवहन ठप्प पड़ गया था. वैसे भी भारत का लोहा बाजार चीन द्वारा माल डंप कर दिये जाने से पहले से ही संकट में था. उस पर नोटबंदी की मार ने रही सही कसर को भी निकाल दिया.
भिलाई इस्पात संयंत्र-
दस बार देश का सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात कारखाने के लिए प्रधानमंत्री ट्रॉफी प्राप्त यह कारखाना राष्ट्र में रेल की पटरियों और भारी इस्पात प्लेटों का एकमात्र निर्माता तथा संरचनाओं का प्रमुख उत्पादक है. देश में 260 मीटर की रेल की सबसे लम्बी पटरियों के एकमात्र सप्लायर, इस कारखाने की वार्षिक उत्पादन क्षमता 31 लाख 53 हजार टन विक्रेय इस्पात की है. यह कारखाना वायर रॉड तथा मर्चेन्ट उत्पाद जैसे विशेष सामान भी तैयार कर रहा है.
भिलाई इस्पात कारखाना आईएसओ 9001:2000 गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली से पंजीकृत है. अतः इसके सभी विक्रेय इस्पात आईएसओ की परिधि में आते हैं.
भिलाई के कारखाने, इसकी बस्ती और डल्ली खानों को पर्यावरण प्रबन्धन प्रणाली से सम्बन्धित आईएसओ 14001 भी प्राप्त है. यह देश का ऐसा एकमात्र इस्पात कारखाना है जिसे इन सभी क्षेत्रों में प्रमाणपत्र मिला है. कारखाने को सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने के लिए एसए: 8000 प्रमाणपत्र और व्यावसायिक स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के लिए ओएचएसएएस-18001प्रमाणपत्र भी प्राप्त है. इन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य प्रमाणपत्रों के कारण भिलाई के उत्पादों का महत्व और भी बढ़ जाता है तथा इस्पात उद्योग में इसकी गणना सर्वश्रेष्ठ संगठनों में की जाती है.