ट्रांसजेंडर को मिलेगी पहचान
बिलासपुर | उस्मान कुरैशी: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में करीब छह सौ किन्नरों को तीसरे जेंडर के रूप में पहचान मिलेगी. जिसके बाद सरकारी नौकरियों में इनको आरक्षण मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि सरकार किन्नरों के पुर्नवास के लिए क्या कर रही है. इसके बाद भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों से इनकी आबादी के संबंध में जानकारी भेजने निर्देष जारी किए थे. जिस पर छत्तीसगढ़ शासन ने प्रदेश में निवासरत किन्नरों की जानकारी एकत्रित कराई है. पंचायत और समाज कल्याण विभाग द्वारा थर्ड जेंडर को चिन्हांकित करने कराएं गए सर्वे में छत्तीसगढ़ की न्यायाधानी बिलासपुर जिले में करीब छह सौ ऐसे लोगों की जानकारी सामने आई है.
वहीं छत्तीसगढ़ के कोरबा जिलें के सिर्फ पाली और कटघोरा दो नगर पंचायत क्षेत्र में करीब सौ मामले सामने आएं है. सर्वे का काम रायपुर की मितवा संकल्प समिति ने कराया है. थर्ड जेंडर की पहचान के लिए पंचायत और समाज कल्याण विभाग ने एक प्रोफार्मा तैयार किया है . जिसमें इनके चार वर्ग कोथी ओपन , किन्नर , ट्रांस जेंडर और शिवशक्ति या जोगप्पा वर्ग का उल्लेख है. इसके अलावा पिता या गुरू का नाम ,जन्म, सेक्स रिअसाइमेंट सर्जरी की जानकारी ,गंभीर बीमारी, पता, शैक्षणिक योग्यता, व्यवसाय, वार्षिक आय, बीपीएल व शासन से मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी भी शामिल है.
सर्वे में कोथी ओपन और किन्नर के ज्यादा मामले सामने आएं है. जिला स्तर पर प्रोफार्मा के द्वारा एकत्रित जानकारी को वेब साइड पर अपलोड कर राज्य शासन के पास भेजा जा रहा है. प्रदेश से भी एकत्रित सारे आकड़ें भारत सरकार के पास 15 अक्टूबर तक भेजी जाएगी.
छत्तीसगढ के बिलासपुर शहर के चांटीडीह निवासी किन्नर गुरू विमला मौसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है. वे कोर्ट का आभार जताते कहती है कि इसका फायदा हमारे लोगों का जरूर मिलेगा. उनका दावा है कि बिलासपुर शहर में ही उनके साथियों की संख्या 15 सौ से अधिक है.
किन्नरों के हक और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे विजय अरोरा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शुरू हुई इस पहल का स्वागत करते है. वे कहते है. कि अब तक समाज में किन्नर स्वीकार्य नहीं थे. उनको किराएं पर मकान नही मिलते उनके साथ कोई काम नही करना चाहता यहां तक कि लोग उनके साथ आटों में बैठकर सफर नहीं करना चाहते है. तीसरे जेंडर के रूप में पहचान मिलने के बाद इनको सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज के नजरिये में भी बदलाव आए और इनको सम्मान मिले.