कोरबाछत्तीसगढ़

बालको: मौत की चिमनी के 6 साल

कोरबा | अब्दुल असलम: बालको की मौत की चिमनी में मृत 40 मजदूरों के परिजन न्याय की आस में बैठे हैं. छः साल बीत जाने के बाद भी उन्हें वास्तव में न्याय नहीं मिल सका है. जहां पर चिमनी गिरी थी वहीं पर दूसरी चिमनी का निर्माण कर लिया गया है परन्तु जो घर उजड़े थे उन्हें फिर से बसाया ना जा सका. बालको ने जांच रिपोर्ट का इंतजार करने की बजाय आनन फानन में ध्वस्त चिमनी के स्थान पर अवैध रूप से चिमनी का निर्माण कर लिया है. चिमनी निर्माण के लिए नगर पालिक निगम, टाउन एंड कंट्री प्लांनिंग और वन विभाग से एनओसी नही ली गई है. निगम ने अवैध निर्माण के विरोध में बालको थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

छत्तीसगढ़ के बालको चिमनी हादसा मामले के 6 साल बीतने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई तय नहीं हो पा रही है. गौरतलब है कि इसे देश के सबसे बड़े औद्योगिक हादसो में एक माना जाता है. हर बीतते दिन के साथ बालको प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराता नज़र आ रहा है. 40 मजदूरो की मौत की आज पांचवी बरसी है बावजूद बीते 2190 दिनो में बालको के अधिकारियों ने एक बार भी पीडि़त के परिवार के घर में पैर नहीं रखा है. अपनों के गम में खोये परिवार की आर्थिक स्थिती भी बहाल हो चुकी है लेकिन उनके साथ न तो कोई जनप्रतिनिधी खड़ा है न ही वो श्रमिक नेता जो हादसे के बाद बड़े-बड़े दावे करते नज़र आते थे.

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगरी कोरबा के इतिहास में वो काला दिन शायद ही किसी के जेहन से भुलाया जा सकेगा. जिसकी छाप ने कोरबा को वो जख्म दिये है जिसके घाव आज तलक ताजा है! जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बालको चिमनी हादसे की उस शाम कि जब 40 मजदूर बालको के निर्माणाधीन चिमनी के धाराशाही होने से मौत की नीद सो गये. 23 सितंबर 2009 शाम के करीब 3 बजकर 50 मिनट में बालको के 1200 मेगावाट के दो निर्माणाधीन चिमनियों में से एक चिमनी आंधी-तूफान और बारिश के बाद अचनाक जमींदोज हो गया. उस वक्त बड़ी संख्या में मजदूर हर रोज की तरह काम कर रहे थे. अचानक 248 मीटर ऊंची निर्माणाधीन चिमनी के गिरने से 40 मजदूरों की मौत हो गई.

इस ह्दय विरादक घटना ने सबको हिला कर रख दिया. फिर शुरु हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग दस दिनो तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में चिमनी के मलबे से शरीर के अलग अलग भाग निकाले गये. प्रदेश के मुखिया डॉ.रमन सिंह ने घटना स्थल का निरीक्षण कर न्यायिक जांच का आदेश दिया. जस्टिस संदीप बख्शी आयोग का गठन कर आयोग को जांच कि जिम्मेदारी सौपी गई. आयोग कि सुनवाई कोरबा कलेक्टोरेट स्थित खुली अदालत में 2 फरवरी 2010 को शुरु की गई.

लगभग 35 माह तक चली सुनवाई में आयोग का कार्यकाल 10 बार बढ़ा. 6 बिन्दुओं पर की गई आयोग की सुनवाई में श्रमिक नेता, तत्कालीन कलेक्टर अशोक अग्रवाल, तत्कालीन सहायक श्रम आयुक्त सत्य प्रकाश वर्मा, सेपको के प्रोजेक्ट मैनेजर वू छूनान, ठेका कंपनी जीडीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर मनोज शर्मा, तत्कालीन उप संचालक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा रज्जू भोई, बालको के प्रोजेक्ट इंचार्ज जेके मुखर्जी, तत्कालीन एसडीएम रामजी साहू और बालको के तात्कालीकन सीईओ गुंजन गुप्ता बयान दर्ज कराने आयोग के समक्ष उपस्थित हुए.

चीनी ठेका कंपनी सेपको द्वारा 1200 मेगावाट चिमनी का निर्माण कराया जा रहा था. सेपको, पेटी ठेके पर भारत की जीडीसीएल नामक कंपनी को ठेके पर निर्माण का कार्य कराया रहा था. इस मामले में 17 लोगों के खिलाफ अपराध बालको थाने में दर्ज कराया गया. जिसमें 12 लोगो की गिरफ्तारी पुलिस ने किया. 5 लोग अब तक फरारा हैं. साक्ष्य से छेड़छाड़ करने के आरोप में ज्वाईट डायरेक्टर डॉ.एमएम अंसारी, जीएमआरके गोस्वामी, ग्रुप मैनेजर यूके मंडल की भी गिरफ्तारी बालको पुलिस ने की थी. इस मामले में श्रमिक नेता राजेन्द्र मिश्रा ने श्रमिक संघ की तरफ से बालको की पूरी सुनवाई में मौजूद रह कर श्रमिक संघ की तरफ से अपना बयान भी दर्ज कराया. लेकिन सुनवाई के बढ़ते वक्त के साथ श्रमिक नेताओं की उम्मीद भी अब धुंधली पड़ती नज़र आ रही है.

बख्शी आयोग की सुनवाई लगातार तीन साल चलने के बाद आयोग ने रिपोर्ट को सरकार को सौंप दिया. रिपोर्ट में आरोपियों के नाम का खुलासा है लेकिन अब तक मामले में सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इधर मजदूरों के परिजनों के न्याय की आस में आंखे बुढ़ी होती जा रही है. नाम के तौर पर बालको ने मृतकों के परिजनों को 13-13 लाख रूपयें मुआवजें की राशि देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. जबकि मृतकों के परिजनों के मुताबिक उनको 25 लाख रूपयें मुआवजा और नौकरी की बात कहीं गई थी. बालकों ने 40 मृतकों के परिजनों में से एक को नौकरी भी दी है लेकिन वो नौकरी भी सीधे बालको कम्पनी में नहीं बल्कि एक निजी ठेका कंपनी के अधीन दी है जिसमें नौकरी करने वाली मृतक भोला सिंह की पत्नि को बतौर पारश्रमिक दर पांच हजार रूपयें ही मिलते है.

छः साल बीतने के बाद भी हादसें में मरने वाले मजदूरों के परिजन न्याय का इंतजार कर रहे है जबकि दोषी खुली हवा में सांस ले रहे है. देखना होगा न्याय के मंदिर से पीडि़तों को राहत के लिये और कितना इंतजार करना होगा!

एक नजर चिमनी हादसे में मारे गये मजदूरो पर
प्रदेश ………………………….जिला ……………………..मृतको कि संख्या

बिहार ………………………..छपरा ………………………….11
बिहार ………………………..सिवान ………………………..07
झारखंड ……………………..सिमडेगा ……………………….11
झारखंड ……………………..गढ़वा …………………………..03
मध्यप्रदेश …………………….उमरिया ………………………..07
छत्तीसगढ़ …………………….कोरबा …………………………02

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