सफलता के 4 सूत्र- आनंद कुमार
रायपुर | संवाददाता: सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार ने सफलता के चार सूत्र बताये. रायपुर में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में जिसमें स्कूली छात्र-छात्रायें तथा उनके अभिवाहक उपस्थित थे आनंद कुमार ने सफलता के चार सूत्र बताये- दृढ़ आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच, कड़ी मेहनत और धैर्य. उन्होंने कहा कि यदि आप इस पर अमल कर लेते हैं तो आपकों सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.
आनंद कुमार रविवार को रायपुर जिला प्रशासन की ओर से आयोजित युवा संकल्प कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि लक्ष्य को हासिल करने के लिये आपके अंदर दृढ़ आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है. जब तक तड़प नहीं होगी लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. दिन-रात, सोते-जागते, खाते-पीते, उठते-बैठते ध्यान लक्ष्य पर होना चाहिये.
आनंद कुमार ने स्कूली बच्चों से कहा कि दुनिया का कोई काम आपके लिये असंभव नहीं है, बशर्ते आप उसे पूरा करने की अपने मन में ठान ले. उन्होंने जोर दिया कि बिना मेहनत के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि रात जितनी अंधेरी होती है उसकी सुबह उतनी ही बेहतर होती है. इसलिये कभी निराश न हो. उल्लेखनीय है कि आनंद कुमार जल्द ही छत्तीसगढ़ के 600 चयनित शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे. रायपुर और दंतेवाड़ा में मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह यह कार्यक्रम रखा जायेगा.
उधर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से रविवार शाम यहां उनके निवास कार्यालय में बिहार की ‘सुपर 30’ संस्था के संचालक आनंद कुमार ने सौजन्य मुलाकात की. उन्होंने डॉ. सिंह से चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ में भी बच्चों की प्रतिभा को निखारने और उच्च शिक्षा संस्थाओं की प्रवेश परीक्षाओं के लिये उन्हें विशेष कोचिंग सुविधा दिलाने के उद्देश्य से रायपुर में भी ‘सुपर 30 संस्था’ खोलने की मंशा प्रकट की.
मुख्यमंत्री ने आनंद कुमार द्वारा बिहार में गरीब परिवारों के बच्चों को दी जा रही कोचिंग का उल्लेख करते हुए उनकी प्रशंसा की.
आनंद की सुपर-30 अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है. वर्तमान में सुपर 30 में अब तक 330 बच्चों ने दाखिला लिया है, जिसमें से 281 छात्र आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं. शेष इंजीनियरिंग संस्थान में पहुंचे हैं.
मां के बनाए पापड़ों को साइकिल पर घर-घर ले जाकर बेचने वाला शख्स आज अगर गरीब बच्चों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसी बड़ी संस्थाओं में प्रवेश कराने की ‘गारंटी’ बन जाये तो आपको आश्चर्य होगा. लेकिन यह सच है. पटना के चर्चित सुपर-30 संस्थान के संस्थापक आनंद कुमार की कहानी कुछ ऐसी ही है.
सरकारी विद्यालय के छात्र आनंद को शुरू से ही गणित में रुचि थी. उन्होंने भी वैज्ञानिक और इंजीनियर बनने का सपना देखा था. उनके सपने को सच करने के लिए उन्हें क्रैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए बुलावा भी आया, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो सका. इसी टीस ने उन्हें गरीब बच्चों की प्रतिभा निखारने की प्रेरणा दी.
इसी दौरान 23 अगस्त 1994 को हृदयाघात के चलते पिता का निधन हो गया. उनके पिता डाक विभाग में चिट्ठी छांटने का काम करते थे, परंतु उन्होंने पिता के निधन के बाद अनुकम्पा से मिलने वाली नौकरी न करने का फैसला लिया.
उनका कहना है कि सब कुछ उनकी सोच के विपरीत हो रहा था, लेकिन उन्होंने तय किया कि ‘अगर नौकरी कर लूंगा तो गणित में प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिल पायेगा.’ अर्थाभाव के कारण घर-परिवार चलाना मुश्किल होने लगा. तब उनकी मां आजीविका के लिये घर में पापड़ बनाने लगी और आनंद तथा उनके भाई साइकिल पर घर-घर जाकर पापड़ बेचने लगे.
जिंदगी जैसे-तैसे चलने लगी. इसके बाद आनंद ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने की सोची. उन्होंने घर में ही ‘रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स’ नाम से कोचिंग खोली. प्रारंभ में कोचिंग में सिर्फ दो विद्यार्थी आए. इस दौरान वे छात्रों से 500 रुपये फीस लेते थे. इसी दौरान उनके पास एक ऐसा छात्र आया, जिसने कहा कि वह ट्यूशन तो पढ़ना चाहता है लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं.
यह बात आनंद के दिल को छू गई और उन्होंने उसे पढ़ाना स्वीकार कर लिया. वह छात्र आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हुआ. आनंद कहते हैं कि यह उनके जीवन का ‘टर्निग प्वाइंट’ था. इसके बाद वर्ष 2001 में उन्होंने सुपर-30 की स्थापना की और गरीब बच्चों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने लगे.
आनंद कुमार (परिचय) || Anand Kumar ||