नक्सल का राजनीतिक विरोध जरूरी- जोगी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा नक्सलवाद के खात्में के लिये कई मोर्चो पर काम करने की जरूरत है. अजीत जोगी ने कहा छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के खात्में के लिये आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर काम किये जाने की जरूरत है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ‘थिंक एबाउट इट’ नामक एक परिचर्चा में अजीत जोगी ने कहा कि पुलिस की वजह से पिछले कुछ सालों में नक्सली हताश होकर बैकफुट पर आ गये हैं. आम लोगों को यहां आने-जाने में पहले जैसी कोई दिक्कत नहीं हो रही है. नक्सलियों ने आम लोगों का विश्वास जीतकर आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाई थी. हमें यह नहीं भूलना चाहिए. आदिवासियों की मदद करने नक्सली गांव में ही सरकारी बंदों को सजा देने लगे. इससे वहां के लोगों के मन में नक्सलियों के प्रति विश्वास बढ़ गया. इसलिये आज भी सरकारी कर्मचारी और पुलिस और को न्याय के साथ विकास करते हुए विश्वास जीतना होगा.
परिचर्चा में उपस्थित छत्तीसगढ़ के वनमंत्री तथा बीजापुर के विधायक महेश गागड़ा ने कहा नक्सली हिंसा का विरोध नहीं करना भी उसका मौन समर्थन है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में निर्भया कांड, बेंगलुरु में लड़कियों से बदसलूकी या बार्डर पर आतंकी हमला जैसी गिनी-चुनी घटनाओं में ही हम सड़क पर संवेदना प्रकट करते हैं. बस्तर में इन घटनाओं से कहीं ज्यादा अमानवीय कृत्य और नक्सली घटनाओं में जवानों की मौत आये दिन हो रही है. हम कभी इन घटनाओं के समर्थन या मदद करने आगे नहीं आते.
वनमंत्री महेश गागड़ा ने कहा देश में हो रही सभी घटनायें एक जैसी हैं. इसलिये समाज को अपनी जिम्मेदारी कर्तव्य के साथ निभाते हुए संवेदना प्रकट करना चाहिये. अगर बस्तर की घटनाओं पर मानवीय संवेदना जाहिर नहीं करते तो यह नक्सलियों का मौन समर्थन करने जैसी बात होगी.
वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ कार्रवाई के दौरान हमें सभी पहलुओं पर गौर करना होगा. पहले की तुलना में नक्सली हिंसा क्यों बढ़ी यह भी विचारणीय प्रश्न है. शासन की योजनाओं का लाभ सही ढंग से लोगों को मिलेगा तो हमें सार्थक परिणाम मिलेंगे.
छत्तीसगढ़ के नक्सल ऑपरेशन के डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा समाज आगे बढ़ेगा तो नक्सलवाद पीछे हट जायेगा. उन्होंने कहा कहा कि बस्तर के लोगों ने नक्सलियों का साथ देना छोड़ दिया है. इसलिये आज स्थिति यह है कि बस्तर की सड़कों पर हम आजादी से घूम सकते हैं. नक्सल विचारधारा को वैचारिक व सामाजिक क्रांति से मिटाई जा सकती है.