जैजैपुर में 1000 शिक्षक सम्मानित
जांजगीर-चांपा | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर में एक साथ 1000 शिक्षकों को सम्मानित किया गया. देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के अवसर पर यहां जिले के जैजैपुर विकासखण्ड मुख्यालय के शा.उ.मा.विद्यालय परिसर में जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें जिले के विभिन्न विकासखण्डों के 152 सेवानिवृत्त शिक्षकों, विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिए 52 उत्कृष्ठ शिक्षकों सहित कार्यक्रम में उपस्थित करीब एक हजार से अधिक शिक्षकों को तिलक लगाकर व माला पहनाकर सम्मान किया गया.
शासकीय नवीन महाविद्यालय जैजैपुर के प्राचार्य डॉ. फूलदास मंहत के मुख्य आतिथ्य तथा शासकीय बेदराम महाविद्यालय मालखरौदा के प्राचार्य डॉ. डी.आर.लहरे की अध्यक्षता में इस सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन जैजैपुर के विधायक केशव चन्द्रा के नेतृत्व में किया गया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कलेक्टर ओ.पी.चौधरी ने अपने उद्बोधन में कहा है कि शिक्षा ही समाज की रीढ़ है. जिस समाज ने शिक्षा के महत्व को समझा है वहीं आगे इतिहास बनाया है. शिक्षकों के सम्मान में ही समाज का सम्मान निहित है. श्री चौधरी ने आगे कहा कि दक्षिण कोरिया में 1959 में ‘एजुकेशन-टू-ऑल’ का जो नारा दिया गया जिससे कुछ ही सालों में वहां सभी लोग शिक्षित हो गए और जिसके परिणाम स्वरूप बहुत छोटा देश होने के बावजूद आज वह विश्व के विकसित देशों को हर मामले में टक्कर दे रहा है.
श्री चौधरी ने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे हर चुनौतियों से आसानी से लड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरूकुल की परंपरा रही है. जिसमें शिक्षक और शिष्य के बीच एक पालकीय संबंध होता था परंतु विगत कुछ दशकों से शिक्षा का जिस तरह से व्यावसायिक करण हुआ है, उससे शिक्षक और छात्र के बीच इस संबंधबोध का अभाव हुआ है साथ ही निजी और सरकारी स्कूलों के बीच असमानता बढ़ी है. इसे आज पुर्नस्थापित करने की जरूरत है. सरकारी स्कूलों के शिक्षक, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों सहित हम सभी की यह जिम्मेवारी है कि समाज में समानता पर आधारित शिक्षा हो ताकि सभी बच्चों को समान रूप से अवसर उपलब्ध हो सके.
जैजैपुर विधायक श्री केशव चन्द्रा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को दिशा और संस्कार प्रदान करने का कार्य शिक्षक ही करते है. बहुत से लोग जो रास्ता भटक जाते है उन्हें सही रास्ता दिखाने का कार्य शिक्षक ही कर सकते है. उन्होंने कहा कि वे शिक्षक जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को एक दिशा देने में लगा दिए है, वो सेवानिवृत्त होने पर सिर्फ शासकीय दायित्वों से मुक्त हुए है, वो इसी तरह आगे भी लोगों का मार्गप्रशस्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाये.