छत्तीसगढ़

बीएल के साले को बेल नहीं मिली

नई दिल्ली | संवाददाता: सीबीआई ने बीएल अग्रवाल के रिश्तेदार के बेल का विरोध किया है. सीबीआई का कहना है कि पुराने भ्रष्ट्रचार को दबाने के लिये नये भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया गया है. ऐसे मामलों में जमानत नहीं दी जानी चाहिये. सीबीआई ने अदालत से कहा जांच पूरी होने पर ही आरोप-पत्र दाखिल किया जायेगा. इसके बाद अदालत ने छत्तीसगढ़ के विवादित आईएएस अफसर बीएल अग्रवाल के रिश्तेदार आनंद अग्रवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. मामले की अगली सुनवाई अब 16 मार्च को होगी. आईएएस बीएल अग्रवाल सहित मामले में अन्य सभी आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

उल्लेखनीय है कि बाबूलाल अग्रवाल के खिलाफ सीबीआई में चल रहे अपने मामले को खत्म करने के लिये कथित रुप से पीएमओ के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप है. 18 फरवरी को सीबीआई ने बाबूलाल के घर छापा मार कर कई घंटों तक पूछताछ की थी और दस्तावेजों को जब्त किया था. 1988 बैच के बाबूलाल अग्रवाल गिरफ्तारी के वक्त छत्तीसगढ़ सरकार में उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव थे. बाबूलाल अग्रवाल को सीबीआई अपने साथ दिल्ली ले गई. दिल्ली में बाबूलाल अग्रवाल को अदालत में पेश किया गया था. तब से बाबूलाल अग्रवाल सहित अन्य आरोपी तिहाड़ जेल में बंद हैं.

बाबूलाल अग्रवाल का नाम 2010 में पहली बार उस समय चर्चा में आया था, जब उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में आयकर विभाद की कार्रवाई हुई थी. बाबूलाल पर आरोप लगा कि उन्होंने रायपुर ज़िले के खरोरा के 220 गांव वालों के नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवा कर उसमें भारी निवेश किया है. बाबूलाल पर 253 करोड़ की संपत्ति तथा 85 लाख के बीमा की खबरें सामने आई थीं.

इसकी कई कहानियां छपी, अफवाहें उड़ीं, बाबू लाल निलंबित हुये और अंततः सरकार ने बाबूलाल अग्रवाल को बेदाग घोषित करते हुये उन्हें महत्वूर्ण पद दे दिया. बाबूलाल अग्रवाल का दावा है कि उन्होंने पूरे मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसके बाद उन्हें बेदाग घोषित किया गया.

इधर आयकर विभाग ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था और आरोप है कि इसी मामले को खत्म करने के लिये कथित रुप से डेढ़ करोड़ की रिश्वत देने की कोशिश की गई. यहां तक कि इस मामले में सीबीआई ने रिश्वत के रुप में दिये जाने वाला दो किलोग्राम सोना भी जब्त किया था.

बीएल अग्रवाल के नार्को टेस्ट की तैयारी

सीबीआई सूत्रों का कहना है कि बीएल अग्रवाल के नार्को टेस्ट के लिये अदालत से आवेदन किया जा सकता है. सीबीआई बीएल अग्रवाल की रिमांड खत्म होने के बाद उनके नार्को टेस्ट के लिये अदालत से आवेदन कर सकती है.

उधर, बीएल अग्रवाल को प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत करने के मामले में नये तथ्य सामने आये हैं. जिनके अनुसार बीएल अग्रवाल पर सीबीआई में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद भी महाधिवक्ता की राय लेकर उन्हें पदोन्नति दी गई थी. सीबीआई ने 2012 में बीएल अग्रवाल के खइलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था. बाद में सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता की राय लेकर उन्हें सचिव से प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत कर दिया था.

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