छत्तीसगढ़ का चावल मिटायेगा कैंसर
रायपुर | संवाददाता: अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो छत्तीसगढ़ का चावल कैंसर की कारगर दवा बन सकता है. इंदिरा गांधी कृषि विश्ववविद्यालय एवं भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर द्वारा किये गए अनुसंधान में गठवन, महाराजी और लाईचा नामक चावल की किस्मों में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के गुण पाये गये हैं. छत्तीसगढ़ के कृषि विश्वविद्यालय में धान की 24 हज़ार से भी अधिक जर्मप्लाज्म सुरक्षित हैं. इनमें से अधिकांश का संग्रहण डॉ. आर एच रिछारिया ने किया था.
भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सहयोग से किये जा रहे अनुसंधान में छत्तीसगढ़ की तीन औषधीय चावल प्रजातियों- गठवन, महाराजी और लाईचा में फेफड़े एवं स्तन के कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने के गुण पाए गए हैं. इनमें से लाईचा प्रजाति कैंसर की कोशिकाओं का प्रगुणन रोकने और उन्हें समाप्त करने में सर्वाधिक प्रभावी साबित हुई है. औषधीय चावल की ये तीनों प्रजातियां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संग्रहित जर्मप्लाज्म से ली गई हैं. इस नये अनुसंधान से कैंन्सर के इलाज में आशा की एक नई किरण जागी है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई के मध्य हुए अनुबंध के तहत बार्क मुम्बई में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के एम.एस.सी. के छात्र निशेष ताम्रकार द्वारा बार्क के वैज्ञानिक डॉ दीपक शर्मा, रेडिएशन बायोलॉजी एवं हेल्थ साइंस डिविजन और डॉ. बी.के. दास, न्यूक्लियर एग्रीकल्चर एण्ड बायोटेक्नोलॉजी डिविजन के मार्गदर्शन में किये गए एक अनुसंधान में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जर्मप्लाज्म में संग्रहित औषधीय चावल की तीन किस्मों गठवन, महाराजी और लाईचा के एक्सट्रेक्ट का प्रयोग मानव ब्रेस्ट कैंसर सेल्स (एम.सी.एफ.-7) एवं मानव लंग कैंसर सेल्स (ए.-549) के प्रगुणन को रोकने के लिए किया गया.
प्रयोगशाला में किये गए अनुसंधान के निष्कर्षों से पता चलता है कि इन तीनों किस्मों के मेथेनॉल में बने एक्सट्रेक्ट ने हयूमन ब्रेस्ट कैंसर और हयूमन लंग कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को ना केवल रोक दिया बल्कि कैंन्सर कोशिकाओं को नष्ट भी कर दिया. चावल की इन तीनों किस्मों में से लाईचा किस्म ब्रेस्ट कैंसर सेल्स को नष्ट करने में सबसे प्रभावी साबित हुई. लंग कैंसर सेल्स को नष्ट करने में तीनों किस्में लगभग बराबर प्रभावी रहीं.
हयूमन ब्रेस्ट कैंन्सर सेल्स के संबंध में किये गए अनुसंधान में गठवन चावल के एक्सट्रेक्ट ने जहां 10 प्रतिशत कैंन्सर सेल्स को नष्ट किया, वहीं महाराजी के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 35 प्रतिशत और लाईचा के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 65 प्रतिशत कैंन्सर सेल्स को नष्ट कर दिया. इसी प्रकार हयूमन लंग कैंसर के संबंध में किये गए अनुसंधान में गठवन चावल के एक्सट्रेक्ट ने जहां 70 प्रतिशत कैंन्सर सेल्स को नष्ट किया वहीं महाराजी के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 70 प्रतिशत और लाईचा के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 100 प्रतिशत कैंन्सर सेल्स को नष्ट कर दिया. कैंन्सर सेल्स नष्ट करने के लिए आवश्यक एक्टिव इन्ग्रेडिएट की मात्रा 200 ग्राम चावल प्रति दिन खाने से प्राप्त की जा सकती है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने अनुसंधान के परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि डॉ. आर.एच. रिछारिया द्वारा संग्रहित छत्तीसगढ़ की चावल की किस्मों में कैंसर का इलाज पाया जाना विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अनुसंधान के परिणामों के आधार पर शीघ्र ही कैंसर का इलाज खोजा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि अनुसंधान के अगले चरण में इन चावल की किस्मों से एक्टिव तत्व अलग करने एवं उनका चूहों पर प्रयोग करने की योजना तैयार की जा रही है.