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कैंसर से छत्तीसगढ़ में रोज 44 की मौत

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कैंसर से हर दिन 44 लोग मर रहे हैं. यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है. लेकिन इस बीमारी के इलाज की सुविधाओं में जनसंख्या के अनुरुप विस्तार नहीं हो रहा है.

हालत ये है कि देश में कैंसर की तृतीयक परिचया सुविधा बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार ने जिन 35 State Cancer Institutes यानी राज्य कैंसर संस्थान और Tertiary Care Cancer Centres यानी तृतीयक परचया कैंसर केंद्र स्थापित करने के लिये अनुमोदन किया है, उनमें एक भी संस्थान छत्तीसगढ़ में नहीं है. जबकि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में ही ऐसे तीन-तीन केंद्र हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े की बात करें तो भारत में हर दिन 2008 लोग इस बीमारी से मर रहे हैं. 2016 के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में इस बीमारी से 7,32,921 लोग हर साल काल के गाल में समा जाते हैं. इनमें सबसे बड़ी संख्या उत्तरप्रदेश के मरीजो की है, जहां 2016 में 1,23,985 लोगों की मौत इस बीमारी से हो गई.

लेकिन आबादी के लिहाज से छत्तीसगढ़ देश के कैंसर पीड़ितों में प्रमुख है. पिछले तीन साल में इस बामीरी से मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ा है. लेकिन इसकी तुलना में इलाज की सुविधायें अब भी उपलब्ध नहीं हैं. हालत ये है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में अधिकांश अवसर पर कीमोथेरेपी की या तो मशीन खराब पड़ी रहती है या इस मशीन को संचालित करने वाले तकनिशियन की कमी बनी रहती है.

2015 में छत्तीसगढ़ में 15,231 लोगों की कैंसर से मौत हुई थी. अगले साल यानी 2016 में यह आंकड़ा बढ़ कर 16,030 हो गया. इसी साल सरकार ने छत्तीसगढ़ में इस बीमारी के इलाज की विभिन्न सुविधाओं के विस्तार का दावा किया लेकिन 2017 में कैंसर से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ कर 16,868 तक जा पहुंचा.

आंकड़े देखें तो हर साल इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या भी राज्य में बढ़ती जा रही है. 2015 में छत्तीसगढ़ में 30,239 कैंसर पीड़ितों की पहचान की गई थी. लेकिन 2016 में यह आंकड़ा बढ़ कर 31,817 हो गया. अगले साल यानी 2017 में छत्तीसगढ़ में इस बीमारी से पीड़ित 33,477 मरीजों की पहचान की गई.

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