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बृजमोहन की मुश्किल बढ़ी

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.जंगल की ज़मीन पर रिसार्ट बनाने के विवाद से ले दे कर उबरने की कोशिश हुई थी कि भाई के व्यवसाय पर छापामारी पड़ गई. अब उनकी मुश्किल सुप्रीम कोर्ट में बढ़ने वाली है.

सुप्रीम कोर्ट ने उनके निर्वाचन के खिलाफ रायपुर की पूर्व महापौर किरणमयी नायक की याचिका को स्वीकार कर लिया है. किरणमयी नायक ने 2013 में उनके खिलाफ कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ा था. आरोप है कि विधानसभा की रायपुर सीट के लिये हुये विधानसभा चुनाव के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने चुनाव के लिये निर्धारित खर्च की सीमा से अधिक रकम खर्च की थी.

इससे पहले किरणमयी नायक की याचिका को इसी साल 21 जुलाई को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. हालांकि हाईकोर्ट ने यह याचिका केवल तकनीकि आधार पर खारिज की थी.

बृजमोहन अग्रवाल छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्री माने जाते रहे हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के ज़माने से बृजमोहन अग्रवाल विधानसभा में राजधानी रायपुर का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं और वे मध्यप्रदेश में भी मंत्री रहे हैं. उन्हें छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के बाद स्वाभाविक दावेदार माना जाता है लेकिन ताजा याचिका से उनकी परेशानी बढ़ सकती है. कानून के जानकारों का कहना है कि अगर पुख्ता तरीके से साक्ष्य रखे जायें तो बृजमोहन अग्रवाल के लिये चुनावी राजनीति का सफर कांटों भरा हो सकता है.

किरणमयी नायक के वकील ने कहा कि इस मामले में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं. स्वयं चुनाव आयोग ने भी माना है कि बृजमोहन अग्रवाल ने तय सीमा से अधिक खर्च किया है.

हालांकि इस पूरे मामले में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. उनके निकटतम लोगों ने कहा है कि मामला अदालत में है तो इसका जवाब भी अदालत में ही दिया जायेगा. उन्होंने संभावना जताई कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका खारिज की गई थी, उसी तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट में भी किरणमयी नायक की हार होगी.

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