बोधघाट पर सरकार ने बुलाई विधायक सांसदों की बैठक
रायपुर | संवाददाता: बस्तर की 50 साल पुरानी बोधघाट परियोजना को फिर से शुरु करने के बाद अब राज्य सरकार ने बस्तर के विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है. यह बैठक शनिवार को होगी.
गौरतलब है कि जानी-मानी पर्यावरणविद् मेधा पाटकर समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बोधघाट में 50 साल पुरानी जल विद्युत परियोजना शुरु करने का विरोध किया है. इनका आरोप है कि राज्य सरकार आदिवासी हित और पर्यावरण की अनदेखी करके इस बंद पड़ी परियोजना को शुरु कर रही है.
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार बस्तर के विधायकों, सांसदों समेत कुछ आदिवासी नेताओं को शनिवार को रायपुर में बैठक के लिये आमंत्रित किया गया है. माना जा रहा है कि बस्तर के जनप्रतिनिधियों से विमर्श के बाद राज्य सरकार आगे कोई फ़ैसला ले सकती है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 50 साल पुरानी राज्य की सबसे बड़ी बोधघाट जल विद्युत परियोजना के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है. इस परियोजना को केंद्रीय जल आयोग ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है.
अनुमान है कि इस परियोजना पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. करीब 42 करोड़ रूपये ‘वेपकोस’ नामक कंपनी को सर्वे कार्य के लिए जारी भी कर दिए गए हैं.
सीजी ख़बर पर प्रकाशित रिपोर्ट के बाद मेधा पाटकर ने एक ट्वीट में कहा है कि 40 साल से रद्द विनाशकारी बोधघाट डैम बांध को पुनर्जीवित करने की केंद्रीय जल आयोग और छत्तीसगढ़ सरकार की योजना की, लागत लाभ विश्लेषण, पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र बस्तर के आदिवासियों के विस्थापन और अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय प्रभावों के दृष्टिकोण से तत्काल समीक्षा की जानी चाहिये.
The decision of @CWCOfficial_GoI & @ChhattisgarhCMO to revive plan for construction of massive #Bodhghat dam, shelved for 40 yrs, needs to be urgently reviewed from angle of cost-benefit analysis, displacement of adivasis in V-Schedule Bastar & irreversible environmental impacts.
— Medha Patkar (@medhanarmada) June 10, 2020
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने केरल में जल विद्युत परियोजना को लेकर आज सवाल उठाये तो उन्हें भी बोधघाट के सवाल का सामना करना पड़ा-
Perfectly well placed concern Sir.
But What about #Bodhghat in CG ruled by @INCIndia why this several times dumped project being revived? @lifeindia2016 @Indian_Rivers @alokshuklacg @sudiepshri— manoj misra (@yamunajiye) June 10, 2020
देश भर के आंदोलनकारियों के संगठन NAPM ने भी बोधघाट को लेकर सवाल उठाये हैं-
In an age of dam de-commissioning & many alternatives to irrigation & power, investing 20k+ crores in redundant #BodhghatDam, jeopardizing livelihoods of adivasis, critical forest & wildlife habitat is unacceptable. @bhupeshbaghel this is not at all in interest of Chhattisgarh! https://t.co/U6LnaXDGx5
— NAPM India (@napmindia) June 10, 2020
कुछ आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना की गुजरात के केवड़िया परियोजना से तुलना की है-
केवड़िया के आदिवासीयों के साथ अभी तक न्याय नही हुआ
और छत्तीसगढ़ बोधघाट के आदिवासीयो को बाँध के नाम पर जंगल जमीन से 42 गांवो को बेदखल किया जायेगा
ये है कांग्रेस बीजेपी के बराबरी का प्रमाण
INC=BJP#StatueOfDisplacement #SaveBhodhghat@Chhotu_Vasava @RahulGandhi @ChhattisgarhCMO— JJD Archer Suraj Charpota (@JjdSuraj) June 10, 2020