कालेधनधारी गोपनीय ही रहेंगे!
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार के संमान कालेधनधारियों का नाम सार्वजनिक करने में असमर्थता जताई है. गौरतलब है कि शुक्रवार को महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्य न्यायालय से कहा केंद्र सरकार दोहरा कराधान बचाव समझौते के कारण विदेशी सरकारों द्वारा दिए गए उन लोगों के नामों को सार्वजनिक नहीं कर सकती, जिन्होंने विदेशी बैंकों में काले धन जमा कर रखे हैं. उधर एक और घटनाक्रम में वित्तमंत्री अरूण जेटली ने बताया कि “स्विट्जरलैंड से आज लौटे वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल स्विस बैंक में जमा काले धन से जुड़ी सूचनाओं को साझा करने के लिए भारत और स्विटजरलैंड के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनाने में सफल रहा है.”
इसका तात्पर्य यह हुआ कि केन्द्र सरकार को स्विस बैंकों में काला धन रखने वालों का नाम पता चलने वाला है परन्तु उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. गौरतलब है कि भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार में दावा किया था कि विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन को वापस लाया जायेगा.
शुक्रवार को महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर तथा न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी की पीठ के समक्ष एक आवश्यक सुनवाई के लिए आवेदन किया. सरकार ने कहा है कि जिन खाताधारकों के खिलाफ मुकदमा शुरू हो गया है उनके नामों का खुलासा किया जा सकता है क्योंकि वे सार्वजनिक क्षेत्र में आ गए हैं, लेकिन जिनके साथ अभी ऐसा नहीं हुआ है, उनके नामों का खुलासा, गोपनीयता अनुच्छेद ए के कारण, करना संभव नहीं है.
सरकार ने कहा कि इस तरह के खुलासे से विदेशी बैंकों में धन जमा करने वाले लोगों के बारे में विदेशी सरकारों से सूचनाएं लेने में मुश्किलें आएंगी, क्योंकि समझौता टूटने पर भविष्य में विदेशी सरकारें हमें खाताधारकों सें संबंधित कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराएंगी. उल्लेखनीय है कि अदालत ने बीते 20 अगस्त को केंद्र सरकार को लिचेंस्टीन बैंक के खाताधारकों के विवरण जेठमलानी को उलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, जिसे एक मई को न्यायालय को सौंपा गया था. वहीं, जेठमलानी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है.
स्विस बैंकों के साथ हुए सहमति के बारे में बताते हुए कहा, “स्विट्जरलैंड भारतीय खाताधारकों के नाम बताने के लिए राजी हो गया है. इन सूचनाओं के मिलने के बाद हम उसकी जांच करवाएंगे तथा उन लोगों के खिलाफ सबूत इकट्ठा करेंगे.”
मंत्री के मुताबिक, कालाधन मामले के तहत भारत में जिन लोगों के खिलाफ जांच हो रही है, उनसे संबंधित सूचनाओं पर स्विट्जरलैंड गौर करेगा और उस व्यक्ति विशेष से संबंधित जानकारी वह भारत को मुहैया कराएगा.
जेटली ने कहा, “सूचनाओं को साझा करने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाएगा और इस प्रक्रिया के लिए समय-सीमा तय की जाएगी.”
जेटली ने कहा कि जिनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, उन खाताधारकों से संबंधित जानकारियों को स्वत: रूप से साझा करने के लिए दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंचने के लिए बातचीत के लिए सहमत हैं.