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भाजपा सांप्रदायिक पार्टी नहीं

जीतन राम मांझी ने कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करना है. यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि भारतीय जनता पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक करार देना गलत है.

राज्य में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले मांझी ने एक में कहा, “अगर एक बार फिर मैं बिहार का मुख्यमंत्री बना, तो बिहार को एक मॉडल राज्य में तब्दील कर दूंगा. वर्तमान में नीतीश कुमार को सत्ता से बाहर करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं.”

उनके मुताबिक, यह नीतीश कुमार का दंभ है कि वे मोदी को अपना नंबर वन प्रतिद्वंद्वी मानते हैं.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व वाली जनता दल युनाइटेड के मुंह की खाने के बाद मांझी मई 2014 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.

लेकिन उनके कुछ विवादित फैसलों के कारण नीतीश कुमार को मजबूरन उन्हें फरवरी 2015 में सत्ता से बाहर करना पड़ा और लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल की मदद से वह फिर से मुख्यमंत्री बने.

इसके बाद मांझी ने जदयू से नाता तोड़कर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का गठन किया और विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा से गठबंधन किया.

मांझी ने कहा, “मुख्यमंत्री बनने के बाद कई नए कदम उठाकर मैंने मिथकों को तोड़ दिया. अगर मैं दोबारा मुख्यमंत्री बनूंगा, तो बिहार को एक विकसित राज्य बनाकर खुद को एक असामान्य मुख्यमंत्री के रूप में साबित करूंगा.”

वर्तमान में मेरा एकमात्र उद्देश्य राजद व कांग्रेस के सहयोग से बने महागठबंधन को हराकर नीतीश को गद्दी से उतारना है.

बिहार के दलितों के बीच आदर्श बनकर उभरे मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार व लालू प्रसाद को हराने के लिए ‘हम’ भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ हैं.

उन्होंने कहा, “मुझे मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद नीतीश कुमार ने सबसे पहले मेरे द्वारा लिए गए तमाम फैसलों को रद्द किया, जिसे मैंने संक्षिप्त काल के लिए मुख्यमंत्री रहने के दौरान लिया था.”

मांझी ने कहा, “बाद में मेरे विचारों को अपनाते हुए उन्होंने मेरे 34 फैसलों में से 19 को लागू किया. वस्तुत: मैंने कई ऐसे काम किए जो नीतीश कुमार नहीं कर सके थे.”

उन्होंने कहा, “बिहार के लोग लालू और नीतीश को वोट नहीं देने का मन बना चुके हैं और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सभी 20 सीटों पर चुनाव जीतेगी.”

मांझी ने कहा कि वे इस बात से असहमत हैं कि भाजपा एक सांप्रदायिक पार्टी है और धर्मनिरपेक्षता का विरोध करती है. भाजपा को सांप्रदायिक कहना बेईमानी है.

लालू ने 1990 के दशक में भाजपा की मदद से सरकार बनाई थी. क्या उस वक्त भाजपा सांप्रदायिक पार्टी नहीं थी? नीतीश कुमार का 17 वर्षो तक भाजपा से नाता रहा. क्या उस वक्त भाजपा सांप्रदायिक नहीं थी?

मांझी ने कहा, “मोदी एक स्वाभाविक व्यक्ति हैं, जो विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. मोदी सभी काम पार्टी की राजनीति से अलग होकर कर रहे हैं और विकास के लिए सभी राज्यों की मदद कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ उनका गठबंधन ठीक चल रहा है और उनके लिए भाजपा सांप्रदायिक नहीं है.

उन्होंने हालांकि कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की आरक्षण नीति की समीक्षा की अपील का समर्थन करते हैं. वस्तुत: आरक्षण सामाजिक-शैक्षणिक श्रेणी के आधार पर होना चाहिए.

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