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बिहार में फिर एनडीए की सरकार

नई दिल्ली | डेस्क: बिहार विधानसभा के चुनावी नतीजे आ गए. मतगणना के दौरान ही आरजेडी ने चुनाव आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया और कहा कि जनादेश का अपहरण किया जा रहा है. आख़िरकार जीत एनडीए को मिली लेकिन सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी (75) बनकर उभरी है.

बीबीसी के अनुसार तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन ने एनडीए को कड़ी चुनौती दी लेकिन बहुमत से पीछे रह गया. चिराग पासवान की एलजेपी महज एक सीट जीत पाई लेकिन इससे नीतीश कुमार को ख़ासा नुक़सान हुआ. बीजेपी के भीतर ही नीतीश कुमार को लेकर सवाल उठ सकता है.

बीजेपी ने 74 सीटें जीती हैं और नीतीश की पार्टी ने महज़ 43. ऐसे में नीतीश सीएम बनेंगे या नहीं यह सवाल भी प्रमुखता से उभरकर सामने आ रहा है. नीतीश कुमार की इस जीत पर अभी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन कहा जा रहा है उनके मन में एलजेपी को लेकर कसक है कि बीजेपी ने उसे रोका नहीं. इस चुनाव में दोनों अहम गठबंधनों पर दो पार्टियों का गहरा असर रहने की बात की जा रही है.

लोक जनशक्ति पार्टी और ओवैसी की पार्टी AIMIM.ओवैसी को पाँच सीटों पर जीत मिली है और एलजेपी को महज़ एक सीट पर. लेकिन ओवैसी ने सीमांचल में महागठबंधन को झटका दिया है और चिराग ने नीतीश को लगभग हर सीट पर प्रभावित किया है. जेडीयू को 2015 में 71 सीटों पर जीत मिली थी जबकि इस बार 43 पर ही मिली.

जेडीयू ने जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था उनमें से 35 फ़ीसदी पर ही जीत मिली जबकि बीजेपी को 70 फ़ीसदी सीटों पर जीत मिली है. बिहार के कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि चिराग को जो असाइनमेंट मिला था उसे उन्होंने पूरा कर लिया है. उन्होंने नीतीश कुमार को अच्छा-ख़ासा नुक़सान पहुंचा दिया है और अब उनका भविष्य बीजेपी के हाथों में है.

चिराग ने चुनाव के नतीजे आने के बाद ट्वीट कर कहा, ”मुझे पार्टी पर गर्व है की सत्ता के लिए पार्टी झुकी नहीं. हम लड़े और अपनी बातों को जनता तक पहुँचाया. जनता के प्यार से इस चुनाव में पार्टी को बहुत मज़बूती मिली है. बिहार की जनता का धन्यवाद.”

बीबीसी की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजस्वी की जीत को बड़ा करने में चिराग पासवान भी एक बड़े कारक हैं.

राघोपुर में तेजस्वी यादव को 38174 मतों से जीत मिली है. तेजस्वी यादव को कुल 97404 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के सतीश कुमार को 59230 मत मिले. वहीं तीसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी के राकेश रौशन रहे. राकेश रौशन को कुल 24947 वोट मिले.

राघोपुर में यादव मतदाता सबसे ज़्यादा सवा लाख के क़रीब हैं. यादवों के बाद राजपूत मतदाताओं की संख्या 40 हज़ार के आसपास है. तेजस्वी यादव के सामने इस बार भी बीजेपी के यादव उम्मीदवार सतीश कुमार थे.

कहा जा रहा था कि तेजस्वी को सतीश कड़ी टक्कर दे सकते हैं लेकिन चिराग पासवान ने राजपूत उम्मीदवार उतार तेजस्वी की जीत बिल्कुल आसान कर दी. राजपूतों का वोट आरजेडी के तुलना में बीजेपी को ज़्यादा मिलता रहा है. ऐसे में राकेश रौशन के आने से बीजेपी का वोट कटा और तेजस्वी की जीत बड़ी हो गई.

अगर सतीश कुमार और राकेश रौशन का वोट जोड़ दें तो 84177 हो जाता है. राकेश रौशन उम्मीदवार नहीं होते और उनका वोट सतीश कुमार को मिल जाता तो तेजस्वी महज़ 13227 वोट से ही जीतते.

राकेश रौशन के आने से राघोपुर में राजपूतों के बीच नारा दिया गया था- पहले कुल तब फूल यानी पहले जाति तब बीजेपी का निशान कमल का फूल. राघोपुर से सतीश कुमार ने 2010 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी की माँ राबड़ी देवी को मात दी थी. यहां से राबड़ी देवी 2005 में चुनाव जीती थीं और लालू यादव 1995 और 2000 में.

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