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30 साल बाद भी बीमारियों के साये में बचपन

भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 30 वर्ष पहले हुई दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी का असर अब भी बरकरार है. यूनियन कार्बाइड संयंत्र के आसपास की हर बस्ती इस बात की गवाही दे रही है कि यहां बचपन पर संकट बना हुआ है, यहां बीमारियां उनके जीवन को दीमक की तरह चट कर रही हैं.

अब से 30 वर्ष पहले यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ने भोपाल के हजारों परिवारों को ऐसे जख्म दिए जो आज भी हरे हैं. हर उम्र वर्ग के लोग बीमारियों का दंश झेल रहे हैं, इनमें वे बच्चे भी हैं जिनके माता-पिता हादसे के समय या तो बच्चे थे या उनका हादसे के बाद जन्म हुआ.

सुदामा नगर में रहने वाले शमशाद कुरैशी के दो वर्ष का बेटा ताहा जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है. उसने अभी जिंदगी का मतलब भी नहीं जाना है और उसे मौत का डर सताने लगा है. ताशा की तिल्ली बढ़ गई है, ब्लड कैंसर है और इलाज पर हर माह दो हजार रुपये से ज्यादा की दवाएं लग जाती हैं.

शमशाद का कहना है, “पहले उसे जहरीली गैस ने नुकसान पहुंचाया और अब बेटा बीमारी से घिर गया है. ताशा की बीमारी ने उसके परिवार की कमर तोड़ दी है, उसका इलाज मुम्बई में होना है मगर अब तो उसके पास बेटे के इलाज के लिए भी पैसा नहीं है. उसने अपनी बेटी की शादी के लिए रकम जमा कर रखी थी जो बच्चे के इलाज में खर्च हो गई.”

ताशा जैसी ही हालत तीन वर्ष के अलबेज की है. जहरीली गैस के दुष्प्रभाव के चलते उसको त्वचा रोग है, उसके शरीर पर छाले बन जाते हैं. उसका इलाज महंगा है. अनवर बताते हैं, “उनका अपने बेटे के इलाज में जमीन, दुकान तक बिक गया है. गैस पीड़ितों के लिए बनाए गए अस्पताल से भी अलबेज को इलाज नहीं मिल पा रहा है.”

करौंद में रहने वाला हर्ष चल फिर नहीं पाता है. वह अन्य बच्चों की तरह दौड़ना चाहता है, मगर चल फिर नहीं चल सकता है. हर्ष के पिता शंकर कहते हैं, “30 वर्ष पहले रिसी जहरीली गैस ने उनके बच्चे का बचपन छीन लिया है. वे बताते हैं कि सिर्फ हर्ष ऐसा नहीं है बल्कि उस जैसे हजारों बच्चे हैं जो खुशहाल जीवन नहीं जी पा रहे है.”

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार बताते हैं कि यूनियन कार्बाइड से रिसी गैस ने जन्मजात बीमारियां दी हैं. जहरीली गैस ने गुर्दे, फेफड़े, आंख की बीमारी के अलावा त्वचा के रोग दिए हैं. हजारों बच्चे अपाहिज पैदा हुए हैं.

वहीं भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एण्ड एक्शन की प्रमुख रचना ढींगरा कहती हैं कि हजारों बच्चे बीमारियों की जद में हैं. उनकी बीमारी की वजह गैस का असर भी है. मगर अब तक ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है जो यह बता सके कि बच्चों की बीमारी की मूल वजह क्या है.

इडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डा. नालोक बनर्जी का कहना है कि भोपाल में गैस के असर के चलते बच्चों में जन्मजात बीमारियां और विकलांगता आ रही है इस तरह का न तो कोई शोध हुआ है और न ही इस तरह के प्रमाण ही सामने आए हैं. लिहाजा बच्चों की बीमारी और विकलांगता को गैस के असर से नहीं जोड़ा जा सकता है.

भोपाल में रिसी गैस के असर को नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि यूनियन कार्बाइड के करीब बनी बस्तियों में पैदा होने वाले बीमार बच्चों की संख्या किसी और इलाकों से कहीं ज्यादा नजर आती है.

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