बस्तर के धर्मपाल मैन ऑफ द ईयर
नई दिल्ली: बस्तर के धर्मपाल सैनी को जब दिल्ली में द वीक द्वारा मैन आफ द ईयर 2012 सम्मान से नवाजा गया तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. लेकिन रेल मंत्री पवन बंसल के हाथों सम्मानित 83 वर्षीय समाजसेवी धर्मपाल सैनी हमेशा की तरह विनम्र ही दिखे. कुछ इस तरह, जैसे यह सम्मान भी उनके लिये भार की ही तरह हो.
बस्तर में आदिवासियों एवं समाज के पिछड़े वर्गों की शिक्षा के लिये किये गये उल्लेखनीय योगदान के लिये उन्हें 29 अप्रैल को दिल्ली में ‘द वीक’ पत्रिका ने इस सम्मान से नवाजा.
धार जिले में 1930 में पैदा हुये धर्मपाल सैनी को विनोबा भावे ने आदिवासियों के बीच काम करने के लिये प्रेरित किया और धर्मपाल सैनी छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में जाने के लिये घर से निकल पड़े. विनोबा भावे ने राजनेता श्यामा चरण शुक्ला के नाम एक चिट्ठी दी थी, जिसे लेकर धर्मपाल सैनी पहली बार छत्तीसगढ़ के इलाके में पहुंचे थे. श्यामाचरण शुक्ला ने उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
धर्मपाल सैनी ने जगदलपुर से लगे हुये डिमरापाल में 13 दिसंबर 1976 को आदिवासी लड़कियों के लिये अपना पहला आवासीय शाला शुरु किया और नाम रखा रूक्मणी सेवा संस्थान. बस्तर में उसके बाद शुरु हुआ शिक्षा के अलख जगाने का यह सिलसिला आज तक जारी है. तब से अब तक बस्तर के 37 गांवों में ऐसे आश्रम शुरु हुए, जो अब तक सुचारु रुप से आदिवासियों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं. इन आश्रमों में हजारों की संख्या में आदिवासी बच्चे हर साल शिक्षा पाते हैं.
धर्मपाल सैनी बताते हैं कि जब वे बस्तर आये थे तब शिक्षा का प्रतिशत अत्यंत कम था. उन्होंने उस वक्त घर-घर जाकर अभियान चलाया कि बच्चों को विशेषकर लड़कियों को स्कूल में दाखिला दिलवाई जाए. उनकी कोशिश रंग लाई लेकिन धर्मपाल सैनी इस उम्र में आ कर भी चाहते हैं कि कुछ और स्कूल खोले जायें.
जाहिर है, धर्मपाल सैनी में जज्बा है और अब भी कुछ कर गुजरने का साहस भी. यही सब कुछ तो उन्हें ‘मैन आफ द ईयर’ सम्मान का असली हकदार बनाता है.