आवामी लीग सरकार बनाएगी
ढाका | समाचार डेस्क: विपक्षी बहिष्कार के बीच बंग्लादेश में आवामी लीग 10वें संसदीय चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में ऊभर कर सामने आयी है. इससे शेख हसीना का फिर से प्रधानमंत्री चुना जाना तय है ऐसा माना जा रहा है. गौरतलब है कि प्रमुख विपक्षी दल बंग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी ने संसदीय चुनाव का बहिष्कार इसलिये किया था. उनका माननाथा कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए वे निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकता है.
बहरहाल इस चुनाव में आवामी लीग ने 147 सीटों में से 105 पर जीत दर्ज की है. जातिया पार्टी ने 13 सीटें जीती हैं, वर्कर्स पार्टी ने चार और जासाड, त्वारिकात फेडरेशन व बीएनएपी ने एक-एक सीटें जीती हैं.इनमें से 13 निर्दलीय सांसद चुन कर आए हैं.
चुनाव आयोग ने 159 जिलों के 147 सीटों में से 139 के परिणाम प्राप्त किए हैं. यहां 153 सीटों पर निर्विरोध जीत कर आए सांसदों के नाम घोषित किए जा चुके हैं. 153 निर्विरोध रूप से जीत कर आए उम्मीदवारों में 125 आवामी लीग, 20 जातिया पार्टी-इरशाद, तीन जासाड, दो वर्कर्स पार्टी और एक जातिया पार्टी-मंजु से हैं.
हिसा की वजह से जिन सीटों पर चुनाव नहीं हो पाया, वहां दोबारा चुनाव कराए जाएंगे. इसका मतलब यह है कि आवामी लीग पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी. पार्टी से सहयोगियों वर्कर्स पार्टी और जासाड ने भी 11 सीटें जीती हैं.
विपक्षी पार्टियों ने रविवार को हुए चुनाव का बहिष्कार किया था. इस दौरान हिंसा में 21 लोगों की मौत हो गई थी.
आवामी लीग
यह बंग्लादेश की दो में से एक प्रमुख राजनीतिक दल है. आवामी लीग का उदय पाकिस्तान के समय से ही मुस्लिम लीग के आधिपत्य के विरोध के रूप में हुआ था. इस पार्टी के शेख मुजिबर रहमान के नेतृत्व में चले आंदोलन से बंग्लादेश का उदय हुआ था. बंग्लादेश के उदय के बाद 1973 में हुए प्रथम संसदीय चुनाव में यह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. 1975 में शेख मुजिबर रहमान के हत्या के बाद इस पार्टी को सत्ता से हट जाना पड़ा था.
29 दिसंबर 2008 को हुए संसदीय चुनाव में इस पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें पायी. 2009 में आवामी लीग ने अपने सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनायी थी.