रायपुर

बागेश्वर के बाबा ने कहा-हिंदू राष्ट्र बनाउंगा

रायपुर | संवाददाता: लोगों के नाम-पते मन की बात बता कर और कथित प्रेत दरबार लगा कर चर्चा में आए बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने आज भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की घोषणा की.

भगवान की कथा सुनाने के सात दिवसीय आयोजन में सोमवार को आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि -“सुभाषचंद्र बोस जी का आज जन्मोत्सव है. सुभाषचंद्र बोस जी के जन्मोत्सव पे उनका एक नारा था-तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें. लेकिन हमने आज एक नया नारा बनाया है भारत के इतिहास में. तुम मेरा साथ दो, हम हिंदू राष्ट्र बनाएंगे. हां. तुम हमारा साथ दो, हम हिंदू राष्ट्र बनाएंगे.”

उन्होंने कहा कि अगर तुम्हारे भीतर एक बूंद भी सनातनी खून है तो तुम मेरा साथ दो, मैं हिंदू राष्ट्र दूंगा.

उन्होंने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ने भी आजाद हिंदुस्तान की घोषणा की थी. हम भी आज घोषणा करते हैं कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है.

उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ भी दिलाई.

उन्होंने किसी राजनीतिक दल में जाने से इंकार करते हुए कहा कि हमको सिर्फ सनातनियों को एक करने की बात करनी है. अगर ये बवाल है, अगर ये विवाद है तो बना रहने दीजिए.

शंकराचार्य के सवाल

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दो दिन पहले ही आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कार को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

चमत्कार दिखाने वाले उनके जोशीमठ के मकानों में आ गई दरारों को चमत्कार से भर दें तो वो उनका स्वागत करेंगे.

उन्होंने कहा, “हम उनके लिए फूल बिछाएंगे कि आओ, ये जो हमारे मकान में दरार आ गई है, हमारे मठ में आ गई है, उसे जोड़ दो.”

उन्होंने कहा, “सारे देश की जनता चमत्कार चाहती है कि कोई चमत्कार हो जाए. कहां हो रहा है चमत्कार. जो चमत्कार हो रहे हैं, अगर जनता की भलाई में उनका कोई विनियोग हो तो हम उनकी जय-जयकार करेंगे, नमस्कार करेंगे. नहीं तो ये चमत्कार छलावा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है.”

शंकराचार्य ने कहा कि अगर किसी के पास कोई अलौकिक शक्ति आ गई है और जादूगर की तरह छड़ी घुमा कर अचानक कुछ कर सकते हैं तो उन्हें यह करना चाहिए. हम लोग तो ऐसा चमत्कार नहीं जानते.

उन्होंने कहा, “कोई ऐसा चमत्कारी पुरुष है तो धर्मांतरण रोक दे. लोगों की आत्महत्या रोक दे. लोगों के घरों में झगड़े हो रहे हैं, फसाद हो रहे हैं, सुमति ला दे. पूरा देश आकर एक-दूसरे से प्यार करने लग जाए. जो वर्गों में विद्वेष हो रहे हैं, उन वर्गों के विद्वेष को रोक दे. ऐसा कुछ जनता और राष्ट्र के लिए उपयोगी चमत्कार कर के दिखाए, तब हम उसको चमत्कारी पुरुष कह सकते हैं.”

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