छत्तीसगढ़

गांवों में शिक्षा का बुरा हाल

रायपुर | संवादादता: छत्तीसगढ़ के गांवों में शिक्षा का हाल, बेहाल है. बुधवार को जारी किये गये शिक्षा की स्थिति पर सालाना रिपोर्ट 2013 से इसका खुलासा हुआ है. हैरत की बात है कि छत्तीसगढ़ के गांवों के कक्षा 8 के विद्यार्थी कक्षा 2 में पढ़ाया जाने वाला पाठ नहीं पढ़ सकते हैं. इसी तरह कक्षा 8 के एक तिहाई विद्यार्थियों को गुणा-भाग करना नहीं आता है.

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह द्वारा जारी किये गये ‘असर’ की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के बारे में चौंकाने वाले तथ्य दिये गये हैं. छत्तीसगढ़ के गांवों के 6-14 आयुवर्ग के 2.3 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. 7-16 आयुवर्ग के 4.8 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं वहीं 15-16 आयुवर्ग के 14-6 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. इन आकड़ो को देखने से यह ज्ञात होता है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है बच्चों का स्कूल जाना घटने लगता है.

जहां तक पढ़ सकने का सवाल है छत्तीसगढ़ के गांवों के कक्षा 1 के 49.8 विद्यार्थी फीसदी बच्चों को अक्षर भी पढ़ना नहीं आता. इसी कक्षा के 5 फीसदी विद्यार्थी शब्द नहीं पढ़ सकते हैं. इतने से ही बात खत्म नहीं होती है हैरतअंगेज ढ़ंग से कक्षा 7 के 72.8 फीसदी विद्यार्थी कक्षा 2 का पाठ भी नहीं पढ़ सकते हैं. इसी प्रकार कक्षा 8 के 79.8 फीसदी विद्यार्थी कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ सकते हैं.

जहां तक गणित का सवाल है कक्षा 8 के 24.5 फीसदी विद्यार्थियों को जोड़-घटाना नहीं आता है. कक्षा 8 के 32.4 फीसदी विद्यार्थियों को गुणा-भाग करना नहीं आता है. सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि कक्षा 8 के 35.9 फीसदी विद्यार्थियों को 10-99 तक की गिनती भी नहीं आती है.

इसके लिये ‘असर’ ने छत्तीसगढ़ के 438 स्कूलों का अवलोकन किया था. क्या इन आकड़ो के आ जाने के बाद भी दावा किया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के गांव विकास कर पाएंगे. जब प्राइमरी तथा मिडिल स्कूल के विद्यार्थियों का यह हाल है तो उच्च शिक्षा की बात रहने दें.

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