कोर्ट ने पूछा-कैसा माफीनामा छपवाया है रामदेव ने?
नई दिल्ली | डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से पूछा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि माफीनामा इतना छोटा छपवाया गया हो कि उसे माइक्रोस्क्रोप लेकर पढ़ना पड़े. हमें अपने विज्ञापन की कटिंग पेश कीजिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि माफीनामा की साईज बढ़ा कर मत पेश कीजिएगा.
गौरतलब है कि बाबा रामदेव के भ्रामक दावे के बाद अदालत ने उन्हें माफीनामा छपवाने के लिए कहा था. इसके बाद 23 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई थी.
अदालत ने पूछा कि हमें बताइए कि माफीनामे का साइज क्या है. इसका आकार बढ़ाकर हमारे सामने पेश मत कीजिए. हम देखना चाहते हैं कि यह कितना बड़ा है. हमें माफीनामे की कटिंग सौंपिए.
अदालत ने पूछा कि आपकी ओर से कितना बड़ा माफीनामा छपवाया गया है. क्या माफीनामा भी उतना ही बड़ा है, जितना बड़ा आपने भ्रामक विज्ञापन दिया था.
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुतुल्लाह की बेंच ने माफीनामा छपवाने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल किए. अदालत ने बाबा रामदेव से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से ठीक पहले ही यह सार्वजनिक माफीनामा क्यों छपवाया गया.
इससे पहले बाबा रामदेव के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने देश के 67 अखबारों में विज्ञापन छपवाया है.
इधर इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अप्रैल) को केंद्र सरकार से पूछा कि आयुर्वेदिक और आयुष से संबंधित विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 (1945 नियम) के नियम 170 के तहत उत्पाद लाइसेंसिंग अधिकारियों को पत्र क्यों जारी किया गया.
आगे क्या
पतंजलि की ओर से प्रकाशित माफीनामे में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का पूरी तरह से सम्मान करता है. हमार वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कोई भी भ्रामक विज्ञापन नहीं देने की बात कही थी. इसके बाद भी विज्ञापन प्रकाशित कराए और इस मुद्दे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया, इस गलती के लिए हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं. हम प्रतिबद्धता जाहिर करते हैं कि भविष्य में दोबारा इस तरह की गलती नहीं दोहराई जाएगी.
हालांकि फर्जी दावे करके बुरे फंसे रामदेव ने जो विज्ञापन छपवाया है, वह कम से कम उनके फर्जी दावे वाले विज्ञापनों की तुलना में तो बहुत ही छोटा है.
ऐसे में अगर अदालत को यह नहीं जंचा तो बाबा रामदेव को फिर से देश से माफी मांगने वाला विज्ञापन छपवाना पड़ सकता है.
मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को है.