बाबा रामदेव का छत्तीगढ़ से करार रद्द
रायपुर | संवाददाता: बाबा रामदेव की पतंजलि ने छत्तीसगढ़ में 1660 करोड़ का फूडपार्क की अपनी योजना रद्द कर दी है. 2015-16 में रमन सिंह के शासनकाल में यह अनुबंध किया गया था.
पतंजलि ने इसके लिए राजनांदगांव ज़िले के बिजेतला में 300 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया था.
शेष 200 एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण की भी कार्यवाही जारी थी.
पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण और सरकार के बीच हुए अनुबंध के बाद दावा किया था कि इससे 88 हज़ार लोगों को रोजगार मिलेगा.
लेकिन अब इन दावों पर पानी फिर गया है.
हालांकि कहा जा रहा है कि नई सरकार के आने के कारण पतंजलि ने इस योजना को बाय-बाय कर दिया. लेकिन पतंजलि ने रमन सिंह के कार्यकाल में जो योजना बनाई थी, उस दौरान ही उस पर अमल नहीं हो पाया, इसलिए पतंजलि ने फूडपार्क में बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाई.
छत्तीसगढ़ के शहद और संजीवनी पर थी बाबा की नज़र
असल में छत्तीसगढ़ में वन विभाग संजीवनी नामक ऑउटलेट से प्राकृतिक जड़ी बुटी, उनसे बनी दवाएं, शहद, घी और दूसरे वन उत्पाद बेचता रहा है.
राज्य में इसके कई बिक्री केंद्र हैं.
बाबा रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी चाहती थी कि उन्हें वन विभाग का शहद बिक्री के लिए दिया जाए, जिसे वे पतंजलि का लेबल चिपका कर बेच सकें.
योजना ये थी कि इसके बाद शेष दूसरे उत्पादों को भी बाबा रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी ही बेचे. जाहिर है, इसके बाद संजीवनी का बंद होना तय था.
लेकिन अपने ही बिक्री केंद्र में शहद की ठीक-ठीक बिक्री के कारण, तत्कालीन वन मंत्री महेश गागड़ा इसके लिए तैयार नहीं हुए.
जिस दिन बाबा रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी के साथ शहद का यह करार होना था, उससे एक दिन पहले रात को महेश गागड़ा ने तब के मुख्यमंत्री रमन सिंह से मुलाकात की और उनसे शहद का करार नहीं किए जाने का अनुरोध किया.
रमन सिंह ने महेश गागड़ा की बात पर मुहर लगाई और अगली सुबह संजीवनी की शहद, पतंजलि के हाथ में जाने से बच गई.
तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आचार्य बालकृष्ण को भरोसा दिलाया कि फिलहाल फूडपार्क पर काम करें, शहद और दूसरे उत्पादों के बारे में बाद में विचार किया जाएगा.