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इसके बाद डीलर ने सूचित किया कि खरीदी का अनुबंध छत्तीसगढ़ सरकार और निर्माणकर्ता अगस्ता वेस्टलैंड, इटली के बीच होगा और सितंबर 2007 तक डिलवरी मिल जायेगी. निर्माणकर्ता कंपनी ने अपना अनुबंध छत्तीसगढ़ सरकार के विमानन निदेशक को भेजते हुये स्पष्ट किया कि सरकार 29 मार्च 2007 तक इस अनुबंध को हस्ताक्षर करके भेजेगी, तभी छूठ का प्रस्ताव मान्य होगा. वित्तीय वर्ष 2007 के बाद अगर इस अनुबंध पर हस्ताक्षर हुये तो इस प्रस्ताव को रद्द मान लिया जायेगा.

इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंट को अप्रैल 2007 में लिखा कि उसने झारखंड सरकार को एक साल पहले जिस दर में हेलिकॉप्टर बेचा था, उसी दर पर छत्तीसगढ़ सरकार को भी हेलिकाप्टर बेचे. 2005-06 में झारखंड सरकार ने अगस्ता से ही 55.91 लाख अमरीकी डॉलर यानी 24 करोड़ रुपये में हेलिकॉप्टर की खरीदी की थी.

छत्तीसगढ़ सरकार की चिट्ठी के जवाब में अगस्ता वेस्टलैंड ने कहा कि मार्च में अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं होने के कारण कंपनी ने अपना प्रस्ताव रद्द कर दिया है.

छत्तीसगढ़ सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि अगस्ता के इस जवाब के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने मई 2007 में अगस्ता ए-109 पॉवर हेलिकॉप्टर की खरीदी के लिये ग्लोबल टेंडर बुलाये और एक बार फिर हांगकांग के उसी डीलर के साथ अक्टूबर 2007 में बढ़ी हुई कीमत 65.70 लाख अमरीकी डॉलर यानी 25.96 करोड़ में अनुबंध कर लिया. जाहिर है, सरकार ने उसी डीलर से बढ़ी हुई कीमत पर हेलिकॉप्टर की खरीदी करके जनता के पैसों की भारी बरबादी की.

कैग ने जब छत्तीसगढ़ सरकार से मई 2011 में जवाब-तलब किया तो सरकार ने सफाई दी कि कंपनी से झारखंड सरकार को आपूर्ति की गई कीमत यानी 24 करोड़ रुपये में हेलिकॉप्टर खरीदी के लिये पुनः बातचीत करने का निर्णय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के निज सचिव, मुख्य सचिव वित्त व निदेशक विमानन ने 30 मार्च 2007 की बैठक में लिया था. चूंकी कंपनी उक्त कीमत पर हेलिकॉप्टर देने को राजी नहीं हुई, इसलिये सरकार ने पारदर्शिता बरकरार रखने के लिये हेलिकॉप्टर खरीदी का ग्लोबल टेंडर बुलाया.

राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट कैग ने टिप्पणी की थी कि सरकार की यह सफाई स्वीकार्य योग्य नहीं है. कैग ने लिखा था कि छत्तीसगढ़ सरकार पहले प्रस्ताव को समय पर पूरा कर पाने में असफल रही. उससे पहले प्रथम बार में सरकार ने ग्लोबल टेंडर न बुलाने का निर्णय यह कहते हुये लिया था कि हेलिकॉप्टर एक विशिष्ठ उत्पाद है. इन सबके बाद एक खास ब्रांड और विशिष्ठ मॉडल का टेंडर बुलाना किसी भी प्रकार से न तो सहभागिता को बढ़ाता है और ना ही न्यायोचित है. सरकार ने इस प्रकार वही ब्रांड, वही मॉडल, उसी डीलर से उंची कीमत पर लेकर अतिरिक्त खर्च किया है.

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